India News (इंडिया न्यूज), Bangladesh Student Protest 2.0: बांग्लादेश में एक बार फिर छात्र आंदोलन शुरू हो गया है। इस आंदोलन से भारत विरोधी और शेख हसीना विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। इस बात के बहुत सार प्रमाण सामने आए हैं कि, बांग्लादेश में 5 अगस्त, 2024 में शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से कट्टरपंथियों का बोलबाला हो गया है। अब ये कट्टरपंथी बांग्लादेश का संविधान और नाम बदलने की मांग कर रहे हैं। छात्र आंदोलन 2.0 के शुरू होते ही मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर भी अब तख्तापलट का खतरा मंडराने लगा है।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, साल 2024 में बांग्लादेश में आरक्षण कोटे को लेकर छात्र आंदोलन की आग इतनी भड़की कि, शेख हसीना को देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी। फिर बांग्लादेश की कमान सेना ने थाम ली, इसके बाद 9 अगस्त को अंतरिम सरकार का गठन किया गया। इस अंतरिम सरकार का मुख्य सलाहकार नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को बनाया गया। जिसके बाद उम्मीद की जा रही थी कि, बांग्लादेश के हालात सुधरेंगे। लेकिन हालात और बेकाबू हो गए हैं। एक बार फिर छात्र आंदोलन शुरू हो गए हैं।
बता दें कि, छात्र आंदोलन के बहाने शेख हसीना सरकार को उखाड़ फेंका गया था और यूनुस सत्ता की कुर्सी पर काबिज हुए थे, वही आंदोलन अब यूनुस के लिए मुसीबत बन गई है। देश का नाम बदलने की मांग और संविधान को कब्र में दफनाने की कट्टर इच्छा ने भी यूनुस के सिंहासन को हिलाना शुरू कर दिया है। साल के आखिरी दिन यानी (31 दिसंबर, 2024) ढाका के सेंट्रल शहीद मीनार पर हजारों छात्र जुटे। इसी शहीद मीनार से शेख हसीना सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले छात्रों के समूह ने इस बार मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, इस छात्र आंदोलन में इस्लामिक राज्य की स्थापना और कट्टरता को बढ़ावा देने वाले नारे लगाए जा रहे हैं। जिसकी वजह से बांग्लादेश के बुद्धिजीवी खासे चिंतित हैं। इस आंदोलन में यूनुस के अलावा शेख हसीना के खिलाफ भी नारे लगाए जा रहे हैं। इन नारों में भारत विरोधी दुष्प्रचार की भी गंध थी। एक नारा यह भी लगा कि ‘मेरा भाई कब्र में है, हत्यारा क्यों आजाद है?’ इस नारे से ये साफ संकेत मिल रहे हैं कि, आज भी बांग्लादेश में छात्रों में शेख हसीना के खिलाफ गुस्सा भरा हुआ है।
इसके अलावा इन आंदोलनों में दूसरा नारा यह लगा कि ‘दिल्ली या ढाका?’ यानी, क्या आप ढाका बनना चाहते हैं या दिल्ली के बताए रास्ते पर चलना चाहते हैं। साफ है कि बांग्लादेश में जमात जैसे कट्टरपंथी संगठन पाकिस्तान के इशारे पर कथित छात्रों से यह नारा लगवा रहे हैं, जो भारत विरोधी एजेंडे को उजागर करता है। तीसरा नारा यह लगा कि ‘अन्याय खून की नदियों में डूब जाएगा’ यानी बांग्लादेश के कट्टरपंथी अब न्याय के नाम पर खून की नदियां बहाना चाहते हैं। यह जानते हुए भी कथित शांतिदूत मोहम्मद यूनुस हमेशा की तरह चुप हैं। यह जानना भी जरूरी है कि इस छात्र आंदोलन का नेतृत्व कौन सा नेता कर रहा है।
बता दें कि, छात्र आंदोलन का समन्वयक अब्दुल हन्नान कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी एक बार फिर इस आंदोलन के पीछे खड़ी नजर आ रही है। शेख हसीना के खिलाफ विद्रोह के दौरान भी इस नाम को खूब उछाला गया था। इसी हन्नान ने कल ढाका में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और पूरे बांग्लादेश के छात्रों से शहीद मीनार पर इकट्ठा होने की अपील की। उन्होंने कहा कि ‘जुलाई क्रांति’ का ऐलान सरकार नहीं बल्कि बांग्लादेश के हजारों छात्र करेंगे। दरअसल मामला यहीं से शुरू हुआ कि मोहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने दो दिन पहले ऐलान किया था कि सरकार जल्द ही जुलाई क्रांति का ऐलान करेगी।
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