India News (इंडिया न्यूज), Sweden Offer Citizens to Leave Country: जरा सोचिए अगर कोई आपको कहे कि अपना देश छोड़ दो आपको इसके बदले में पैसे भी मिलेंगे। साथ ही जब आप किसी और मुल्क में जाएंगे तो उसका खर्च भी आपकी कंट्री ही उठाएगी। तो आप क्या करेंगे। पहले तो आपके दिमाग में आएगा ऐसा कैसे हो सकता है। लेकिन यह सच है दुनिया में एक ऐसा देश है जो अपने नागरिकों को देश से निकाल रहा है। साथ ही भर-भर के पैसे भी दे रहा है। यूरोपीय देश स्वीडन में अभी ये हालात हैं। जहां के लोगों के सामने ये देश ने ये ऑफर रखा है। स्वीडन की इमीग्रेशन मिनिस्टर मारिया माल्मर स्टेनगार्ड की तरफ से ये अजीबो गरीब प्रस्ताव को सामने रखा गया है। इस प्रस्ताव के तहत विदेशों में जन्में लोग जो अब स्वीडिश नागरिक हैं वो देश छोड़ कर अगर जाना चाहते हैं तो अपनी मर्जी से जा सकते हैं। इस काम में सरकार उनकी मदद करेगी। इसमें सरकार ऐसे लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। यहां तक की जानें का आपका किराए का खर्च भी सरकार उठाएगी।
जानकारी के अनुसार स्वीडन में स्वैच्छिक इमीग्रेशन योजना पहले से ही लागू है। इस योजना के तहत जो शरणार्थियों और प्रवासी अपना देश छोड़कर किसी दूसरे मुल्क में जाना चाहेंगे उन्हें इसके बदले 10,000 स्वीडिश क्राउन यानी लगभग 80 हजार रुपये दी जाएगी। वहीं अगर कोई बच्चा देश छोड़ रहा है, तो उसे उसके बदले 5,000 स्वीडिश क्रोना यानी लगभग 40 हजार रुपये देने की नियम है। जान लें ये पैसे एक साथ ही मिलते हैं। जाने का जो खर्च होगा वो भी स्वीडन ही उठाएगा। अब के नए प्रस्ताव के तहत सरकार आम नागरिकों को भी जोड़ने की तैयारी कर रही है।
अब जो नया प्रस्ताव आ रहा है उसके अनुसार, इसके तहत सभी नागरिकों आ जाएंगे। इसके लिए उन्हें अनुदान 10 हजार स्वीडिश क्रोना से बढ़ा कर देने की बात भी कही गई है। फिलहाल इस प्रस्ताव को सरकार की तरफ से खारिज कर दिया है। इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए सरकार ने कहा कि इससे नागरिकों के बीच गलत मैसेज जाएगा कि हम स्वीडन उन्हें पसंद नहीं करता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि स्वीडन में हर साल लाखों लोग जा कर बसते हैं ऐसे में इस देश की आबादी बढ़ कर 20 सालों में ही दोगुनी हो गई है। रिपोर्ट बताती हैं कि प्रवासियों की संख्या में 20 लाख से भी ज्यादा है। ये स्वीडन की कुल आबादी का पांचवां हिस्सा है। इसे कम करने के लिए ही सरकार की तरफ से साल 2015 में कई पाबंदियां भी लगाईं गई हैं लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।
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कहा जा रहा है कि 50 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है जब भारी संख्या में लोग स्वीडन से पलायन कर रहे हैं। साल 2023 में स्वीडन छोड़कर जाने वालों की संख्या बसने वालों से अधिक थी। इमीग्रेशन मिनिस्टर की ओर से इस पर कहा गया था कि यहां लोग आ तो जाते हैं लेकिन यहां के रहन सहन और समाज में खुद को एडजस्ट कर पाने में असमर्थ हो जाते हैं। ऐसे ही लोगों के लिए ये सुनहरा ऑफर लाया गया है।
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मोदी सरकार के सलाहकार प्रसिद्ध अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने यूरोपीय देशों को उनका आईना दिखा दिया। वो एक्स पर लिखते है कि, ‘स्वीडन विदेश में पैदा हुए अपने ही नागरिकों को स्वेच्छा से देश छोड़ने का ऑफर दे रहा है। ध्यान दें, यह उन लोगों के लिए होगा, जिनके पास पहले से स्वीडिश पासपोर्ट है। आश्चर्य हो रहा है, ये किस तरह का लोकतंत्र है? मुझे यकीन है कि @vdeminstitute का सुपरकंप्यूटर इसकी गणना करके बता सकता है कि डेमोक्रेसी पैरामीटर में इसके लिए कितने अंक दिए जाने चाहिए।’
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