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Taliban disobedience सिर्फ लड़कों के लिए खोले स्कूल

Vir Singh • LAST UPDATED : September 18, 2021, 8:20 am IST

इंडिया न्यूज, काबुल :

Taliban disobedience तालिबान अफगानिस्तान पर अपना कब्जा करने लगातार अपने वादे तोड़ रहा है। अब भी उसने लड़कियों स्कूल जाने की इजाजत नहीं दी है। बता दें कि तालिबान के नेतृत्व में अफगानिस्तान शिक्षा मंत्रालय ने सभी माध्यमिक विद्यालयों को शनिवार से फिर से शुरू करने का निर्देश दे दिया। इसमें लेकिन सिर्फ लड़कों के ही स्कूल जाने की जिक्र है। निर्देश में लड़कियों की स्कूलों में वापसी की कोई जानकारी नहीं है। मीडिया रिपोर्टों में आधिकारिक निर्देश के हवाले से कहा गया है कि सभी प्राइवेट और सरकारी माध्यमिक, उच्च विद्यालयों और धार्मिक स्कूलों को फिर से खोला जाएगा। इसके तहत छात्रों और शिक्षकों को स्कूल जाने की अनुमति दी गई है। गौरतलब है कि तालिबान ने दुनिया से किए कई वादों के साथ गत सप्ताह अफगानिस्तान में अंतरिम सरकार की घोषणा की थी। इस दौरान तालिबान शासन (1996-2001) की नीतियों को न दोहराने का उसने आश्वासन दिया गया था। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। हाल ही में निजी विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों को फिर से खोल दिया गया था, लेकिन कक्षाओं को लिंग के आधार पर विभाजित किया गया था। तालिबान के इस कदम की काफी निंदा हुई है। ‘अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात’ ने महिला मामलों के मंत्रालय को भी बंद कर दिया है और इसे ‘प्रोत्साहन और बुराई की रोकथाम’ के मंत्रालय के साथ बदल दिया है।

Taliban disobedience महिलाओं को काम पर जाने से रोका जा रहा

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कई महिलाएं रोजगार और शिक्षा के अपने अधिकारों की मांग को लेकर पूरे अफगानिस्तान में प्रदर्शन कर रही है। , उन्हें काम पर जाने से रोका जा रहा है। विशेषज्ञों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सदस्यों ने महिला शिक्षकों और छात्रों के भविष्य को लेकर चिंता जताई है। नवनियुक्त शिक्षा मंत्री शेख अब्दुलबाकी हक्कानी ने कहा है कि शरिया कानून के तहत ही शिक्षा की गतिविधियां होंगी।

Taliban disobedience अंतिम शासन में कई पाबंदियां

तालिबान के अंतिम शासन के दौरान, 1996 से 2001 तक, महिलाओं को बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया गया था। इसके साथ ही पुरुष अभिभावकों के बिना महिलाओं को घरों से बाहर जाने तक की इजाजत नहीं थी। इसके साथ ही पुरुषों को दाढ़ी बढ़ाने के लिए मजबूर किया गया। हर गली में नैतिक पुलिस स्थापित की गई थी ताकि नियमों का उल्लंघन करने वालों को कोड़े मारने, सार्वजनिक फांसी जैसी कठोर सजा दी जा सके।

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