इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
काबुल में तालिबान की नवगठित सरकार (Taliban Government) सिर्फ कहने को अफगानिस्तान (Afghanistan) का प्रतिनिधित्व करेगी असलियत में वहां का हर पत्ता फिलहाल पाकिस्तान (Pakistan) की खुफिया एजेंसी आईएसआई (ICI) के कहने पर ही हिल रहा है। न सिर्फ तालिबान सरकार के सारे मंत्री बल्कि अफगानिस्तान के विभिन्न शहरों में मेयरों की नियुक्ति भी पाकिस्तान के इशारे पर हो रही है। आईएसआई के अधिकारियों की पूरी फौज काबुल में तैनात है और इस बात का पूरा इंतजाम करने की कोशिश है कि अफगानिस्तान सरकार आने वाले दिनों में जब सामान्य तौर पर काम शुरू करे तो उसका कोई भी संपर्क भारत के साथ न हो। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों का कहना है कि काबुल, कंधार व दूसरे शहरों से अशरफ गनी सरकार के तहत सेवा दे चुके पुलिस और सरकारी अधिकारियों की हत्या किए जाने की खबरें हैं। वहां आईएसआई के नेतृत्व में तालिबानी आतंकियों का एक गुट तैयार किया गया है जो पूर्व लोकतांत्रिक सरकार के बेहद विश्वस्त लोगों को खोज खोज कर खत्म कर रहा है। तालिबान के मुख्य नेताओं को भी इसकी खबर नहीं है।

Taliban GovernmentTaliban Government

Pakistan had meetings about Taliban Government

एक दिन पहले आईएसआई के डीजी लेफ्टिनेंट जनरल फैज हामिद की तरफ से चीन, ईरान, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान के साथ की गई बैठक का एक बड़ा मकसद यह था कि इन सभी देशों को यह भरोसा दिलाया जा सके कि अफगानिस्तान की नई तालिबान सरकार इन देशों के हितों के खिलाफ काम नहीं करेगी।
पाकिस्तान के दबाव से ही भारत के साथ सामान्य रिश्ते की बात करने के बाद तालिबान ने अब चुप्पी साध ली है। इसका पहला संकेत इस बात से मिलता है कि तालिबान ने अपने प्रतिनिधियों की दूसरे देशों के राजदूतों या अधिकारियों से मुलाकात का सार्वजनिक खुलासा किया है लेकिन कतर में भारत के राजदूत के साथ तालिबानी नेता मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई से मुलाकात को लेकर अभी तक कुछ नहीं कहा है। इस मुलाकात से पहले स्टेनकजई को तालिबान सरकार के विदेश मंत्री की दौड़ में सबसे प्रबल प्रतिनिधि माना जाता था लेकिन उसे उप-विदेश मंत्री ही बनाया गया है।