इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
अफगानिस्तान का पंजशीर तालिबान विद्रोहियों की उम्मीद है जिन्हें लगता है कि बदलाव की शुरूआत इसी प्रांत से होगी। पंजशीर में फिलहाल तालिबान और एनआरएफ के बीच संघर्ष जारी है। इस मोर्चे का नेतृत्व अहमद मसूद कर रहे हैं और अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी इसका हिस्सा हैं। विद्रोही बलों का दावा है कि उन्होंने तालिबान के 600 लड़ाकों को मार दिया है और करीब 1000 आतंकी सरेंडर कर चुके हैं। वहीं तालिबान सात में से चार जिलों पर कब्जे का दावा कर रहा है। तालिबान के साथ अब पाकिस्तान जैसी बाहरी ताकतें भी जुड़ रही हैं। वहीं सालेह ने संयुक्त राष्ट्र से पत्र लिखकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की मांग की है और ‘नरसंहार’ की आशंका जताई है। यह पत्र इस बात का सबूत है कि घाटी में हालात किस हद तक भयावह हो चुके हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि सालेह और मसूद की सेना कब तक तालिबान के आगे टिक पाएगी? अमरुल्लाह सालेह ने संयुक्त राष्ट्र को पंजशीर में ‘मानवीय संकट’ पत्र लिखकर तालिबान को रोकने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से तुंरत अपने संसाधन जुटाने की अपील की है। पत्र में उन्होंने लिखा, ‘काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद पंजशीर पहुंची स्थानीय महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों सहित करीब 2,50,000 लोग घाटियों में फंस गए हैं। ये लोग अमानवीय संकटों और मौजूदा हालातों से जूझ रहे हैं। अगर इस स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया तो बड़े पैमाने पर मानवीय तबाही देखने को मिलेगी जिसमें मानव अधिकारों के हनन से लेकर भुखमरी, सामूहिक हत्याएं और नरसंहार शामिल हो सकते हैं।’ सालेह ने मदद की मांग करते हुए लिखा कि दो दशकों से जारी संघर्ष, लगातार प्राकृतिक आपदाओं, बीमारियों के प्रकोप, कोविड-19 और फिर तालिबान की वापसी ने देश के सामने दुनिया का सबसे खराब मानवीय संकट खड़ा कर दिया है। हम संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पंजशीर प्रांत में तालिबान के हमले को रोकने के लिए हर संभव कोशिश करने की अपील करते हैं।’ यह पत्र अंतरराष्ट्रीय मदद पर सालेह की निर्भरता को दिखाता है इस बात का संकेत है कि वह लगातार इस लड़ाई में कमजोर पड़ रहे हैं। कई सूत्र और रिपोर्ट्स भी कुछ ऐसा ही अनुमान लगा रही हैं। वहीं कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी रविवार को ट्विटर पर एक चौंकाने वाला खुलासा किया। उन्होंने लिखा, ‘पंजशीर में हालात बहुत खराब हैं। आईएसआई और तालिबान ने इलाके में अपना पकड़ मजबूत कर ली है।’ उन्होंने दावा किया, ‘मेरे सूत्रों को इस बात पर संदेह है कि विद्रोही बल टिक पाएंगे। सालेह ने एक दोस्त को बताया कि तीन घंटे पहले एक उनके सामने एक हेलीकॉप्टर उड़ान से बाहर निकलने की पेशकश की गई थी लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बलिदान के बिना देशभक्ति का कोई अस्तित्व नहीं है।’ बता दें कि शनिवार को अचानक तालिबान के बुलावे पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के चीफ काबुल पहुंचे थे और यहीं से पंजशीर की तस्वीर बदलना शुरू हुई।
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