India News (इंडिया न्यूज), Taliban Captured Pakistan Army Base: साल 2024 जंग का साल रहा, यह कहना कुछ भी गलत नहीं होगा। क्योंकि दुनिया के अलग-अलग देशों में जंग छिड़ी। जैसा कि आप सभी को पता है कि, रूस-यूक्रेन के बीच पिछले तीन वर्षों से भी अधिक समय से जंग चल रहा है तो वहीं दूसरी तरफ इजरायल मिडिल ईस्ट में अपनी धाक जमाने के लिए हमास, हिजबुल्लाह, हूती विद्रोही जैसे आंतकवादी संगठनों से लड़ रहा है। और बताया जाता है कि, इन सभी आतंकी संगठनों को ईरान अपना समर्थन देता है और इजरायल से लड़ने के लिए हथियार मुहैया कराता है। अब साल के अंत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान दो पड़ोसी देशों के बीच तनाव बढ़ता नजर आ रहा है।
दरअसल पूरा मामला ये है कि, 24 दिसंबर, 2024 की रात को पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर एयर स्ट्राइक कर दिया था। जिसमें 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 13 नागरिक घायल बताए जा रहे हैं। जिसके बाद अफगानिस्तान ने बदला लेने की कसम खाई। जिसके बाद से दोनों देश जंग के कागार पर खड़े हैं। वहीं पाकिस्तान ने शनिवार (28 दिसंबर) को पक्तिया में एक मस्जिद पर मोर्टार दागे, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई। जिसके बाद से अफगान के कई नागरिकों ने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग की है।
बता दें कि, पाकिस्तान और तालिबान के बीच की वजह बना है पाकिस्तानी तालिबान। जो पाकिस्तान से वर्तमान सरकार को गिराना चाहते हैं और तालिबानी सरकार कायम करना चाहते हैं। ये तालिबानी पाकिस्तान पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर शरण लिए हुए हैं। इस क्षेत्र को पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सुरक्षा के लिए काफी अहम माना जाता है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान इस समय एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं। डूरंड रेखा पार कर पाकिस्तान में घुसे अफगान तालिबान के लड़ाके पाकिस्तानी चौकियों पर बमबारी कर रहे हैं। इसी बीच खबर आई कि तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) ने पाकिस्तानी सेना की एक चौकी पर कब्जा कर लिया है। लेकिन अब पाकिस्तानी सेना ने इस बारे में सफाई दी है।
अफगान सीमा पर स्थित पाकिस्तानी चौकी पर टीटीपी के कब्जे का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। बताया जा रहा है कि, टीटीपी ने खुद इस वीडियो को जारी किया है। लेकिन अब पाकिस्तानी सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि हमले से कुछ देर पहले ही यह सैन्य चौकी खाली कराई गई थी। उन्होंने कहा कि, सैन्यकर्मियों को यहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था। यह प्रक्रिया सिर्फ बाजौर तक ही सीमित नहीं थी, बल्कि उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान में भी इसी तरह से सैन्यकर्मियों को चौकियों से हटाया गया।
बताया जाता है कि, अफगान तालिबान के पास भारी मात्रा में हथियार हैं और दुर्गम इलाकों में छिपने की क्षमता भी है। उनके पास एके-47, मोर्टार, रॉकेट लॉन्चर जैसे आधुनिक हथियारों का बड़ा भंडार है। इसके अलावा तालिबान के लड़ाके पहाड़ों और गुफाओं से हमला करते हैं, जिसके बारे में पाकिस्तानी सेना को भनक तक भी नहीं लगती है। हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, शाहबाज शरीफ सरकार पहले से ही आर्थिक संकट, सीपीईसी परियोजना में देरी और बलूचिस्तान में अलगाववाद जैसी समस्याओं से जूझ रही है। इन मुद्दों ने सरकार और सेना दोनों को कमजोर किया है। अब तालिबान के साथ टकराव ने इस संकट को और बढ़ा दिया है।
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