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Climate Change से बढ़ रहा आपदाओं का खतरा, 2030 तक पड़ेगी खतरनाक लू की मार

Harpreet Singh • LAST UPDATED : April 26, 2022, 11:00 pm IST
  • साल 2030 तक सूखा पड़ने के मामले 30 प्रतिशत तक बढ़ेंगे
  • इस साल मार्च में गर्मी ने 121 साल का रिकॉर्ड तोड़ा

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली: क्लाइमेट चेंज आने वाले समय में भयानक तबाही लाएगा। क्लाइमेट चेंज (Climate Change) की वजह से दुनिया में भयानक प्राकृतिक आपदाएं भी बढ़ रही हैं। इस बात का दावा संयुक्त राष्ट्र (UN) की तरफ से जारी रिपोर्ट में किया गया है। विशेषज्ञों की मानें तो अगर इसी तरह क्लाइमेट चेंज होता रहा तो दुनिया में प्राकृतिक आपदाएं बढ़ जाएंगी। रिसर्च के अनुसार 2030 तक हरा साल 560 से ज्यादा आपदाएं आ सकती हैं।

Terrible disasters will come from climate change
Climate Change से बढ़ रहा आपदाओं का खतरा, 2030 तक पड़ेगी खतरनाक लू की मार

इस समय हर साल दुनिया में 400 से ज्यादा प्राकृतिक आपदाएं (Natural Disasters) आती हैं। यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (UNDRR) की रिपोर्ट में यह भ बताया गया है कि साल 1970 से 2000 के बीच हर साल 90-100 प्राकृतिक आपदाएं आती थी। जो क्लाइमेट चेंज की वजह से साल दर साल बढ़ती जा रही हैं।

2030 तक सूखे और लू की मार करेगी बेहाल

यूनाइटेड नेशन की रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक सूखा पड़ने के मामलों में 30 प्रतिशत की वृद्धि हो जाएगी (increase of 30 percent in the cases of drought)। लू भी 2001 के मुकाबले 2030 तक 3 गुणा बढ़ जाएगी। इस साल भारत में तापमान काफी बढ़ गया है।

मार्च महीने में गर्मी ने 121 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। रिसर्च में शामिल विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाइमेट चेंज होने के कारण सिर्फ प्राकृतिक आपदाएं ही नहीं आ रही, बल्कि महामारियां, आर्थिक संकट, खाने की कमी भी बढ़ रही है। अभी तो न जाने कितनी आपदाओं का कारण यह क्लाइमेट चेंज है।

प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का लोगों को अंदाजा नहीं

UNDRR की प्रमुख मामी मिजुटोरी का इस बारे में कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान का लोगों को अंदाजा ही नहीं है। मिजुटोरी ने कहा कि अगर इस समस्या का समाधान आज नहीं किया गया तो भविष्य में हमे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। इस नुकसान की भरपाई कर पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो जाएगा। मार्कस इनेकनेल का कहना है कि आने वाले समय में प्राकृतिक आपदाओं का ज्यादा असर गरीब देशों पर होगा।

इन आपदाओं का सामना करने के लिए जितने धन की जरूरत होगी, उतना धन गरीब देश जुटा ही नहीं पाएंगे। आपदाओं के साथ आने वाली बीमारियां इंसान के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देंगी। गर्म हवाएं चलना, यूक्रेन में जंग के कारण खाने और ईंधन की कमी होना भी आपदाएं ही हैं। इन कारणों की वजह से कई देश बर्बादी की कगार पर खड़े हैं।

बचाव के लिए पहले ही तैयारी करनी होगी

पुलवर्टी ने कहा कि वैसे तो हर साल आपदाओं से होने वाली मौतों में गिरावट दर्ज होनी शुरू हो गई थी, लेकिन आखिरी पांच साल की बात करें तो यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इसके पीछे कोरोना महामारी (Covid-19) बड़ी वजह बनकर सामने आई है। अगर अभी भी समाज ने अपने सोचने के तरीके में बदलाव नहीं किया तो आने वाला समय काफी खतरनाक हो जाएगा। भविष्य की आपदाओं में मौतें नहीं थमेंगी।

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