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क्या अमेरिकी स्कूल में हुई फायरिंग का कारण हिंसक वीडियो गेम हैं, जानिए सच ? 

India News Desk • LAST UPDATED : May 25, 2022, 4:06 pm IST
इंडिया न्यूज, America School Shooting Reason: बीते कल मंगलवार को अमेरिका के टेक्सास शहर में एक प्राथमिक स्कूल के अंदर 18 वर्षीय युवक द्वारा अंधाधुंध फायरिंग करने के कारण तहलका मच गया। इस फायरिंग में 18 मासूम बच्चों सहित 21 लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद से अमेरिका में हिंसक वीडियो गेम सुर्खियों में है। तो चलिए जानते हैं अमेरिका में गोलीबारी की वजह क्या हिंसक वीडियो गेम है। इस हिंसा को लेकर क्या कहती है रिसर्च।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने दुख जताया

बता दें अमेरिका के रॉब एलिमेंट्री स्कूल में 18 वर्षीय युवक ने अंधाधुंध फायरिंग की। सूचना मिलते ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घटना पर दुख जताते हुए अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए। उन्होंने टेक्सास के गवर्नर से फोन पर बात करते हुए मदद का भरोसा दिया है। हालांकि पिछले साल के दौरान में अमेरिका में फायरिंग की घटनाएं कई बार सामने आई हैं। इसमें स्कूलों को भी कई बार निशाना बनाया गया है।

क्या कहती है रिसर्च?

रिसर्च कहती है कि जो बच्चे गन वायलेंस वाले वीडियो गेम देखते या खेलते हैं। उन बच्चों में गन को पकड़ने और उसका ट्रिगर दबाने की उत्सुकता ज्यादा होती है। जमा नेटवर्क ओपन की रिपोर्ट अनुसार 200 से ज्यादा बच्चों में से 50 फीसदी को नॉन वायलेंट वीडियो गेम और कुछ को गन वायलेंस वाले वीडियो गेम खेलने को दिए गए। कुछ देर बाद देखने को मिलता है कि वायलेंस गेम खेलने वाले 60 फीसदी बच्चों ने तुरंत गन को पकड़ा, जबकि नॉन वायलेंट गेम खेलने वाले सिर्फ 44 फीसदी बच्चों ने गन को पकड़ा।

जानिए कब-कब हुई स्कूलों में घटनाएं?

  • 2009 में जब जर्मनी में एक लड़के ने 16 लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी और सबको मारने के बाद खुद को भी गोली मार ली थी। कहा जाता है कि लड़का शूटिंग वाली वीडियो गेम्स का शौकीन था और कई घंटों तक टीवी की स्क्रीन के आगे लोगों पर गोलियां चलाने के कारण उसने असल जिंदगी में भी ऐसा किया।
  • अदम लांजा ने 2012 में कनेक्टिकट के एक स्कूल में हमला कर 26 स्कूली बच्चों और स्कूल के कर्मचारियों को मार दिया था। वह हर दिन कई घंटों तक दुनिया के कुछ सबसे हिंसक वीडियो गेम खेला करता था। इनमें स्कूल शूटिंग नाम का एक गेम भी शामिल था।
  • इसी तरह 2018 में फ्लोरिडा के हाईस्कूल पर हमला कर 17 लोगों की जान लेने वाले निकोलस क्रूज के बारे में कहा जाता है कि वह हर दिन 15 घंटे हिंसक वीडियो गेम खेला करता था।
  • नवंबर 2018 में कैलिफोर्निया के एक बार में 12 लोगों की जाने लेने वाले डेविड लोंग के बारे में माना जाता है कि उसे मानिसक तनाव की समस्या थी। वहीं 2018 में ही ओहायो की बार में 9 लोगों की जान लेने वाले कोनॉर बेट्स में भी हाईस्कूल में पढ़ने के दौरान कुछ खतरनाक प्रवृत्तियां नजर आई थीं।
  • 2019 में अमेरिकी राष्ट्रपति रहे डोनाल्ड ट्रंप ने भी गोलीबारी की घटना को नफरत और हिंसक वीडियो गेम से जोड़ा था।

इस हमले का कारण क्या माना जा रहा?

सभी हमलों में एक सामान्य बात जरूर नजर आती है और वह है बड़ी मैगजीन वाली बंदूकों का आसानी से उपलब्ध होना। स्टीफन पैडॉक ने 2017 में लास वेगस के एक कंसर्ट पर गोलीबारी कर 58 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। वह ना तो मानसिक रोगी था, ना ही किसी विचारधारा से प्रभावित था और ना ही वीडियो गेम खेलता था। उसने दो दर्जन हथियारों का इस्तेमाल कर हमला किया। इसमें एआर-15 जैसे असॉल्ट राइफल भी शामिल थे।
इसी तरह 2018 में पेनसिल्वेनिया में 11 लोगों की जान लेने वाले रॉबर्ट बोवर्स ने हमले के लिए चार बंदूकों का इस्तेमाल किया। वह कानूनी रूप से 21 बंदूकों का मालिक था। बेट्स ने भी जिस असॉल्ट राइफल से हमला किया वह उसने आॅनलाइन खरीदी थी। इस बंदूक में 100 गोलियों वाली ड्रम मैगजीन लगाई जा सकती है।

बच्चों को हिंसक वीडियो गेम से दूर रखें : एसोसिएशन

रिसर्च के को आॅथर औार ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी में कम्युनिकेशन के प्रोफेसर कहते हैं कि नई फाइंडिंग से सीखना चाहिए। खासकर गन ओनर्स को अपनी गन और सुरक्षित तरीके से रखनी चाहिए। साथ ही माता पिता को बच्चों को हिंसक वीडियो गेम खेलने से रोकना चाहिए। वहीं अमेरिकी साइकोलॉजिकल एसोसिएशन और अमेरिकी एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक सलाह दे चुके हैं कि बच्चों और किशोरों को हिंसक वीडियो गेम से दूर रखना चाहिए।

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