India News(इंडिया न्यूज),Pakistan:रूस के कज़ान में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन ने पाकिस्तान के लोगों का भी ध्यान खींचा है। इसके दो बड़े कारण हैं। पहला, इस शिखर सम्मेलन में नरेंद्र मोदी ने लंबे समय के बाद चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की। दूसरा कारण यह है कि इस कार्यक्रम में पाकिस्तान को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया गया। पाकिस्तानी राजनीतिक टिप्पणीकार कमर चीमा ने अपनी सरकार से सवाल किया है कि ब्रिक्स के भागीदार देशों में पाकिस्तान को क्यों शामिल नहीं किया गया।
कमर चीमा ने अपने एक वीडियो में कहा, ‘ब्रिक्स में तेरह देशों को संवाद भागीदार बनाया गया है। ये देश हैं- कज़ाकिस्तान, अल्जीरिया, बेलारूस, तुर्की, बोलीविया, क्यूबा, इंडोनेशिया, मलेशिया, नाइजीरिया, थाईलैंड, युगांडा, उज्बेकिस्तान और वियतनाम। इसमें कई ऐसे देश हैं, जो पाकिस्तान से छोटे हैं, लेकिन उन्हें ब्रिक्स में पूछा गया और हमें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया गया। पाकिस्तान को संवाद भागीदार बनाने के लायक भी नहीं समझा गया।’
कमर चीमा ने कहा कि ऐसा लगता है कि चीन भी पाकिस्तान पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा है। वह भारत के साथ अपने रिश्ते सुधारने और आगे बढ़ने पर ध्यान दे रहा है। पाकिस्तानियों को ऐसा लगता है कि चीन ने उन्हें धोखा दिया है। पाकिस्तानियों को लगता है कि चीन हमारा सच्चा दोस्त होने का दिखावा करता है लेकिन यहां तो हमसे पूछा ही नहीं गया और हमें धोखा दिया गया। अगर चीन ने कोशिश की होती तो शायद उसे कम से कम वार्ता साझेदारों में शामिल किया जा सकता था लेकिन क्यूबा और बोलिविया उन्हें पाकिस्तान नहीं बल्कि महत्वपूर्ण लगे। चीमा ने कहा कि पाकिस्तान वैश्विक कूटनीति में बहुत पिछड़ गया है।
हम दुनिया में अपनी भागीदारी के बारे में सोच भी नहीं रहे हैं। वे कह रहे हैं कि पाकिस्तान ने अभी आवेदन किया है और अगले साल इसमें नजर आएगा। इसमें इतना समय क्यों लगा, जो बात युंगजा सरकार को पता थी, वह पाकिस्तानी सरकार को क्यों नहीं पता थी। चीमा ने पूछा कि हमारे राजनेता किस दुनिया में हैं। क्या उन्हें नहीं पता कि ब्रिक्स कोई छोटी चीज नहीं है, क्या पाकिस्तानी सरकार को इसका हिस्सा नहीं बनना चाहिए था। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान नरेंद्र मोदी और जिनपिंग की मुलाकात पर कमर चीमा ने कहा कि यह मुलाकात बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत जानते हैं कि क्षेत्र में शांति के लिए दोनों के बीच शांति जरूरी है। ऐसे में दोनों देशों ने बातचीत का रास्ता खोला है और सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए कदम उठाए हैं। चीन और भारत ने दोनों को जगह दी है ताकि बातचीत के लिए बेहतर माहौल बने और चीजें सुधार की ओर बढ़ें।
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