India News (इंडिया न्यूज),Turkish:तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने अपनी कूटनीति के जरिए एक सप्ताह में दो बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। एक तरफ उनके समर्थन से सीरिया के विद्रोही समूहों ने असद सरकार को उखाड़ फेंकने में सफलता हासिल की, वहीं दूसरी तरफ अफ़्रीफ़ा में एक अहम समझौता करवाने में भी सफल रहे।1991 में सोमालीलैंड अफ्रीकी देश सोमालिया से अलग होकर एक देश बना, जिसका नाम सोमालीलैंड है। इसे लेकर इथियोपिया और सोमालिया के बीच बड़ा विवाद हुआ था। तुर्की ने सीधी बातचीत के जरिए दोनों देशों के प्रमुखों के बीच सुलह कराई है। बुधवार देर रात राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने अंकारा में इथियोपिया और सोमालिया के नेताओं के बीच बातचीत के बाद इस सफलता की घोषणा की।
अंकारा में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए एर्दोगन ने इस ‘ऐतिहासिक सुलह’ के लिए सोमालिया के राष्ट्रपति हसन शेख मोहम्मद और इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को धन्यवाद दिया और कहा कि सोमालिया और इथियोपिया ने सोमालीलैंड पर तनाव खत्म करने के लिए एक समझौते पर सहमति जताई है।इथियोपिया के प्रधानमंत्री कार्यालय ने अबी अहमद की एर्दोगन के साथ द्विपक्षीय बैठक की पुष्टि की, जिसमें दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल शामिल थे। सोमालिया के राष्ट्रीय प्रसारक एसएनटीवी ने बताया कि शेख मोहम्मद और एर्दोगन ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और सोमालिया और इथियोपिया के बीच तुर्की की मध्यस्थता वाली तीसरे दौर की वार्ता के लिए जमीन तैयार करने पर चर्चा की।
दरअसल सोमालिया और इथियोपिया के बीच यह विवाद इथियोपिया की सोमालीलैंड में बंदरगाह बनाने की योजना से उपजा है। सोमालीलैंड एक ऐसा क्षेत्र है जिसने 1991 में सोमालिया से स्वतंत्रता की घोषणा की थी, लेकिन इसे अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली है। सोमालिया से अलग होने के बाद सोमालीलैंड ने करीब तीन दशकों तक शांति और स्थिरता बनाए रखी है, लेकिन सोमालिया इसकी स्वतंत्रता का कड़ा विरोध करता रहा है।सोमालिया में अल-शबाब आतंकवादियों से लड़ने के लिए इथियोपियाई सैनिक तैनात हैं। इसके बावजूद, इसने लाल सागर और हिंद महासागर तट के पास जमीन की एक रणनीतिक पट्टी के बदले में सोमालीलैंड को मान्यता देने की इच्छा व्यक्त की है। दूसरी ओर, सोमालिया इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मान रहा था, यही वजह है कि दोनों देशों के रिश्तों में तनाव देखा गया।
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा है कि, ‘यह संयुक्त घोषणापत्र अतीत पर नहीं, बल्कि भविष्य पर केंद्रित है।समझौते की तारीफ करते हुए एर्दोआन ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि, ‘यह समझौता सोमालिया और इथियोपिया के बीच शांति और सहयोग पर आधारित एक नई शुरुआत की दिशा में पहला कदम होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि इथियोपिया – दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला लैंडलॉक देश समुद्र तक पहुंच सके।’
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