India News (इंडिया न्यूज),Prime Minister Justin Trudeau: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अक्सर भारत विरोधी बयान देते रहते हैं। पिछले साल खालिस्तानी समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद उन्होंने भारत की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इसके बाद से ही भारत और कनाडा के रिश्तों में खटास आ गई है। समय-समय पर भारत को नापसंद मुद्दों पर बयान देने वाले ट्रूडो अपने ही देश में फंस गए हैं। निज्जर पर उनके बयान पर कंजरवेटिव पार्टी के प्रमुख और विपक्षी नेता पियरे पोलिएव ने कहा था कि ट्रूडो भारत के साथ रिश्तों की कीमत नहीं समझ पाए हैं। अब ट्रूडो की सरकार को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है। कनाडा अपने आसान वीजा, इमिग्रेशन पॉलिसी और विदेशी छात्रों की पहली पसंद के लिए जाना जाता है। कनाडा में स्थायी निवास (पीआर) पाना भी बहुत मुश्किल नहीं है। लेकिन ट्रूडो के शासन के कुछ सालों में ही वहां महंगाई आसमान छूने लगी है, घरों की कीमतें बढ़ गई हैं और टैक्स बढ़ा दिए गए हैं। इसकी वजह से न सिर्फ विदेशी कामगार और छात्र बल्कि कनाडा के लोग भी ट्रूडो से मोहभंग हो गए हैं और वे सत्ता से बेदखल होने की कगार पर हैं।
कनाडा में अगले साल प्रधानमंत्री के लिए आम चुनाव होने हैं। चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में ट्रूडो को पिछड़ते हुए दिखाया गया है। ट्रूडो ने भी अपने खिलाफ पनप रहे गुस्से को भांप लिया है और पार्टी की विचारधारा से हटकर फैसले लेने शुरू कर दिए हैं। प्रधानमंत्री ट्रूडो कनाडा की लिबरल पार्टी से ताल्लुक रखते हैं, लिबरल पार्टी को सेंटर लेफ्ट माना जाता है, जो समाजवाद की विचारधारा पर चलती है। हाल ही में ट्रूडो ने घोषणा की है कि वह वर्क परमिट और स्टूडेंट वीजा में कटौती करेंगे, जिसके बाद कनाडा में अच्छी जिंदगी का सपना देखने वाले भारतीयों समेत कई विकासशील देशों के छात्र और युवा सदमे में हैं। इसके अलावा वहां काम करने वाले लोगों पर नौकरी जाने का खतरा मंडराने लगा है।
कनाडा में घरों की कीमत, महंगाई और बेरोजगारी में बढ़ोतरी के बाद देश में ट्रूडो के खिलाफ गुस्सा बढ़ने लगा है। उनके विरोधी पियरे पोलीवरे इस मौके का फायदा उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं और जगह-जगह ट्रूडो की नीतियों का विरोध कर रहे हैं। पिछले एक साल से हो रहे चुनाव कंजर्वेटिव पार्टी के पक्ष में रहे हैं और अगर अगले चुनाव तक यही स्थिति रही तो कनाडा में कंजर्वेटिव बहुमत वाली सरकार बन सकती है।
दूसरी ओर ट्रूडो की पार्टी के गठबंधन में शामिल न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) ने उनसे अपना गठबंधन तोड़ लिया है। एनडीपी के अध्यक्ष भारतीय मूल के सिख जगमीत सिंह हैं। भारत में जगमीत सिंह को खालिस्तानी समर्थक के तौर पर भी देखा जाता है, लेकिन ट्रूडो की खालिस्तानी वकालत के बावजूद उन्होंने लिबरल पार्टी से अपना समर्थन वापस ले लिया है।
जगमीत सिंह पोलिएवर के भी विरोधी हैं और उनके खिलाफ बयानबाजी भी करते रहते हैं। पियरे की स्वास्थ्य सेवा नीति पर बोलते हुए जगमीत ने कहा कि वे स्वास्थ्य सेवा की ईंट से ईंट तोड़ देंगे और अगर वे सत्ता में आए तो बीमारी के दौरान आपको अच्छी देखभाल नहीं मिल पाएगी। जगमीत ने आरोप लगाया कि पियरे आपका पैसा देश के चंद अमीर लोगों को देना चाहते हैं।
कनाडा के मुख्य विपक्षी नेता पियरे पोलिएव की प्रधानमंत्री पद के लिए लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। लेकिन विशेषज्ञ उन्हें अप्रवासियों के लिए खतरनाक मानते हैं, वे कंजरवेटिव पार्टी से आते हैं। जो एक मध्यमार्गी दक्षिणपंथी पार्टी है और इसकी नीतियां अप्रवासी विरोधी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पियरे सत्ता में आते हैं तो वे विदेशी कामगारों और छात्रों के खिलाफ कई नीतियां लागू कर सकते हैं।
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