India News (इंडिया न्यूज), America China Trade War: हम आपको बता दें कि अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। जिसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इन सबके बीच खबर आ रही है कि, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के बाद चीन और अमेरिका में ट्रेड वार और तेज होने वाला है। अगर हम मूडीज रेटिंग्स की मानें तो, अमेरिका द्वारा चीन पर रणनीतिक क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रतिबंध बढ़ाने के चलते वैश्विक कंपनियां चीन से अपनी निर्भरता कम कर रही हैं। इसकी वजह से भारत और आसियान देशों को बड़ा लाभ मिल सकता है। इसकी वजह से चीन को चौतरफा नुकसान होने वाला है। एक ओर विदेशी निवेश घटने से उसकी अर्थव्यवस्‍था सुस्‍त होगी, वहीं दूसरी तरफ भारत में बड़ी कंपनियों की दिलचस्‍पी बढ़ना चीन के लिए किसी भी लिहाज से सही नहीं है। 

मूडीज ने क्या कहा?

मूडीज ने इस बारे में कहा है कि, चीन से अमेरिकी व्यापार और विदेशी निवेश के कम होने का फायदा सीधे-सीधे भारत को मिल सकता है। इस बदलाव से भारत और आसियान देशों को लाभ होगा। अमेरिका के और कड़े उपायों के कारण चीन का निर्यात और जीडीपी विकास धीमा पड़ता है, तो इसका असर एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र की उन अर्थव्यवस्थाओं पर भी पड़ेगा जो चीन पर काफी निर्भर हैं।”

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किन सेक्टर पर पड़ेगा असर?

अगर अमेरिकी व्यापार चीन में कम होती है तो चीन के कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, इलेक्ट्रिकल उपकरण और रासायनिक उत्पाद जैसे सेक्टर जो सीधे तौर पर अमेरिकी मार्केट पर डिपेंड हैं। उन क्षेत्रों के बहुत ही ज्यादा प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। तो वहीं दूसरी तरफ भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्सटाइल सेक्टर को नए विकास अवसर मिल सकते हैं। इसके बारे में मूडीज ने कहा है कि जापान और कोरिया के ऑटोमोबाइल निर्माताओं के लिए परेशानी बढ़ सकती है। लेकिन इस बदलाव की वजह से भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियों को बहुत ही बड़ा लाभ मिलता हुआ नजर आ रहा है। जो अमेरिकी बाजार में जेनेरिक दवाओं की प्रमुख आपूर्तिकर्ता हैं। 

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किस क्षेत्र में भारत को मिल रही बढ़त

मूडीज ने आगे ये भी कहा है कि, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में वियतनाम और भारत को लाभ मिलता हुआ नजर आ रहा है। इसकी वजह बताई जा रही है कि, कई कंपनियां चीन से हटकर भारत में निवेश कर रही हैं। Apple के उत्पादों के निर्माण में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा विस्ट्रॉन का अधिग्रहण और फॉक्सकॉन जैसी कंपनियों की उत्पादन इकाइयां भारत में iPhone मॉडल बना रही हैं, जो इस बदलाव का बड़ा उदाहरण है।

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