Trees Cry Like Humans Walk and Shine Like Fireflies : पेड़ पौधों और मनुष्य का आपसी संबंध आदिकाल से रहा है और इसी दौर से पेड़ पौधों की दुनिया मनुष्यों के लिए रहस्य और रोमांच भरी रही है। एक लंबे अरसे तक पेड़ पौधों से जुड़े शोध करने वाले वैज्ञानिक यही सोचते रहे कि पेड़ पौधे जीवित जरूर हैं
लेकिन इनमें चलने-फिरने, सुनने, देखने, सोचने और समझने जैसी शक्तियां नहीं पाई जाती हैं। पेड़ पौधों में इस तरह की अनुभूतियों का अनुपस्थित होना विज्ञान जगत में लंबे समय तक एक आम बात रही। और इसी वजह से इन्हें एक अलग वर्ग में वगीर्कृत करके रखा गया।
कहते हैं कि पेड़-पौधे भी इंसानों की तरह आपस में बातें करते हैं। वो हमारी बात समझ सकते हैं। पेड़-पौधों को म्यूजिक सुनना भी पसंद है। तो आइए आज ले चलते हैं पेड़-पौधों की ऐसी दुनिया में जो रंग-बिरंगी तो है ही, साथ ही अद्भुत भी है। ये पेड़ इंसानों की तरह रोते हैं, चलते हैं और कई तो जुगनू की तरह चमकते भी हैं।
बताया जाता है खारे पानी या दलदली क्षेत्र में उगने वाला मैनग्रेव नाम के विशाल पेड़, अपनी मंद-मंद गति से हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर लेता है। इसके पैर नहीं होते लेकिन इसका फैलाव ऐसा होता है कि कई किलोमीटर को कवर कर लेता है। भारत के सुंदरवन में ये पेड़ पाए जाते हैं।
टंबल विड्स नाम की एक घास की प्रजाति है, जो स्टेपी घास के मैदानों में पाई जाती है। स्टेपी आॅस्ट्रेलिया और अंटार्टिका को छोड़कर सभी महादेशों में पाई जाती है। टंबल विड्स पानी के अभाव में अपनी जड़ों को जमीन से अलग कर लेती है। इस दौरान ये गोलाकार हो जाती है और हवा के सहारे लुढ़कते हुए दूर तक चली जाती है। जहां इसे पानी मिलता है, वहीं अपनी जड़े जमा लेती है।
अंडमान निकोबार में केलेमस अंडमानिक्स नाम का एक ऐसा पौधा पाया जाता है जिसके तने में पानी होता है। यह पीने लायक होता है। इन इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को जब प्यास लगती है और उनके आसपास कोई पानी का स्रोत नहीं होता तो वे इसी से अपनी प्यास बुझाते हैं।
वहीं अफ्रीकी बाओब एक ऐसा पेड़ है जो करीब 80 मीटर ऊंचा होता है। इसकी उम्र हजारों साल होती है। इसका आकार बोतल जैसा होता है जिसमें बड़ी मात्रा में पानी जमा होता है।
वैसे तो घर में रोशनी के लिए हम बल्ब का इस्तेमाल करते हैं लेकिन प्रकृति में कुछ ऐसे पौधे भी हैं जो रात के अंधेरे में जुगनू की तरह चमकते हैं। कुछ ऐसे पौधे भी हैं, जिसके तने से निकलने वाला विशेष प्रकार का रस अंधेरे में चमकता है। मशरूम की कुछ ऐसी प्रजातियां हैं जो रात में कीड़े-मकोड़ों को आकर्षित करने के लिए कई रंग का प्रकाश उत्पन्न करती हैं। इन्हें बायोल्यूमिनेसेंट मशरूम कहते हैं।
इनकी दुनियाभर में करीब 70 प्रजातियां पाई जाती हैं। कहते हैं इनमें पाए जाने वाले एंजाइम और आॅक्सिजन के केमिकल रिएक्शन के कारण रंग-बिरंगी लाइट निकलती हैं।
छुईमुई के पेड़ आज भी किसी पहेली से कम नहीं हैं। इनकी पत्तियों पर हाथ फेरते ही इनमें हरकत दिखती है। पच्चीस-पच्चीस पत्तों के जोड़े आपस में जुड़ते चले जाते हैं। जहां-जहां इसे इंसानों का स्पर्श मिलता है वो मुरझाने लगता है। और चंद मिनटों के बाद ही इसके सिकुड़ चुके पत्ते फिर खुलने लगते हैं और देखते ही देखते सामान्य अवस्था में आ जाते हैं।
लोग मानते हैं कि ये पेड़ शमार्ता है लेकिन, तमाम रिसर्च में ये भी पता चल चुका है कि रोज रात में इसकी पत्तियां खुद बंद हो जाया करती हैं और सुबह सूर्य की पहली किरण के साथ खुलती चली जाती हैं। इस पर हुई रिसर्च से पता चलता है कि ज्यादा गर्मी होने पर, या फिर तेज धूप होने पर भी ये अपनी पत्तियों को सिकोड़ लेता है। माना जाता है कि इसके पीछे इस पौधे का भोजन जुटाने का अपना तरीका है। जो जरूरत भर की धूप लेने की तकनीक जानता है और खुद को सुरक्षित रखने की तकनीक भी जानता है।
सूरजमुखी के पौधा का सूर्य उदय के साथ ही दिन शुरू होता है। दिनभर ये फूल सूर्य का पीछा करते रहते हैं। पूर्व से पश्चिम तक सूर्य के साथ घूमते जाते हैं और सूर्यास्त होते ही ये फूल मानों अपनी गर्दन झुका लेते हैं। मानों शाम तक थक कर निढाल हो जाते हैं। ये एक ऐसा पौधा है, जो अपने साथ एक साल की जिंदगी लेकर आता है।
सूर्य का तब तक पीछा करता है, जब तक इसके फूल फलों से ना लद जाएं। आखिर फल के पकते ही ये अपने बीज को धरती को समर्पित कर देता है और आने वाली पीढ़ी को जीवन देकर ये खुद को खत्म कर लेता है।
हॉलिवुड फिल्म हैरी पॉटर में छोटे बच्चों जैसे दिखने वाले पौधे होते थे। इन्हें जैसे ही उखाड़ो, रोने लगते थे। इन्हें मेंड्रेक पौधे कहते हैं। ये भूमध्य सागर के इलाके में पाए जाते हैं। मेंड्रेक की जड़ काफी हद तक इंसानों की बनावट से मिलती-जुलती है। ये पौधे सुख, समृद्धि और भगवान के आशीर्वाद की तरह हैं।
इन्हें काटने पर या उखाड़े जाने पर ये रोते हैं। कहा जाता है कि जब इन पौधों को पानी या किसी अन्य चीज की जरूरत होती है तो ये आवाज देते हैं। हालांकि ये अल्ट्रसोनिक वेव्स होती हैं जिसकी पिच बहुत ज्यादा होती है। इस वजह से इंसान इसे सुन नहीं पाते।
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