इंडिया न्यूज़, पेरिस
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से बातचीत करने की कोशिश की है, लेकिन वह अब तक सफल नहीं हो पाए हैं। ब्रिटेन ने फ्रांस को गुस्सा थूकने को कहा है। संयुक्त राष्ट्र और क्वाड नेताओं की बैठक में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने वाशिंगटन में कहा कि वह फ्रांस के साथ संबंधों को दोबारा बनाने में सब्र से काम लेंगे। पिछले हफ्ते फ्रांस ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच हुए आॅकस समझौते पर नाराजगी जताते हुए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से अपने राजदूत वापस बुला लिए थे।
इस समझौते के चलते ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के बीच 2016 में हुआ अरबों डॉलर का पनडुब्बी समझौता टूट गया था, जिससे फ्रांस नाराज है। इस बीच अमेरिका ने फ्रांस के साथ बातचीत करके संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों ने अमेरिकी नेता जो बाइडेन से फोन पर बात की। इसके बाद फ्रांस ने कहा कि उसका राजदूत अगले हफ्ते अमेरिका लौट जाएगा। आधे घंटे तक चली इस बातचीत को वाइट हाउस ने दोस्ताना बताया और कहा कि दोनों नेताओं ने अगले महीने मिलने का कार्यक्रम बनाया है। बातचीत के बाद एक साझा बयान भी जारी किया गया, जिसमें कहा गया कि बाइडेन और मैक्रों ने विस्तृत मशविरे की प्रक्रिया शुरू की है, जिसका मकसद एक दूसरे का भरोसा जीतना है। वाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी ने कई बार पत्रकारों के इस सवाल को नजरअंदाज किया कि जो बाइडेन ने मैक्रों से माफी मांगी या नहीं।
कई बार पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बाइडेन ने माना है कि आकस समझौते को लेकर ज्यादा मशविरा किया जा सकता था। साकी ने कहा कि राष्ट्रपति को उम्मीद है कि यह फ्रांस के साथ अमेरिका से लंबे, महत्वपूर्ण और सहयोगी रिश्तों के सामान्य होने की ओर लौटने की ओर कदम है। साझा बयान के मुताबिक बाइडेन और मैक्रों इस बात पर सहमत हुए हैं कि फ्रांस और यूरोपीय सहयोगियों से जुड़े रणनीतिक मसलों पर और ज्यादा खुली बातचीत से स्थिति को ज्यादा फायदा होता।
वहीं वॉशिंगटन पहुंचे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बिना किसी लाग लपेट के कहा कि फ्रांस को गुस्सा थूक कर आगे बढ़ने के बारे में सोचना चाहिए। जॉनसन ने कहा कि आॅकस समझौता मूलभूत रूप से वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महान कदम है। उन्होंने कहा कि तकनीक साझा करने की एक नई साझीदारी के लिए बहुत समदर्शी तीन सहयोगी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं। ऐसा नहीं है कि इसमें अन्य देश नहीं आ सकते। यह किसी को बाहर धकेलने की कोशिश नहीं है। मिसाल के तौर पर यह चीन के खिलाफ नहीं है। समझौते के बाद फ्रांस ने ब्रिटेन के साथ होने वाली विदेश मंत्री स्तरीय बैठक रद कर दी थी।