India News (इंडिया न्यूज), America Iran Relation : अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद ट्रंप ने अपने फैसलों से पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद अमेरिका की नीतियों में बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जिसका असर न सिर्फ उसके दुश्मनों बल्कि उसके सहयोगियों पर भी पड़ा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण नाटो और यूरोपीय देश हैं। अब इस लिस्ट में अमेरिका का सबसे करीबी दोस्त देश इजरायल भी आ गया है। दरअसल, 2 अप्रैल को ट्रंप ने दूसरे देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था।
उन सभी देशों की लिस्ट भी जारी की गई थी। लिस्ट में बताया गया था कि किस देश पर कितना टैरिफ लगाया गया है। इसमें भारत का नाम भी था। इसके अलावा इजरायल पर 17 फीसदी टैरिफ लगाने का भी ऐलान किया गया था। इसके बाद सवाल उठे थे कि अच्छे संबंध होने के बावजूद तेल अवीव को कोई रियायत नहीं दी गई। लेकिन वहीं इजरायल के धुर दुश्मन देश ईरान से अमेरिकी बातचीत ने नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। परमाणु मामलों पर
America Iran Relation : ट्रंप अपने करीबी दोस्त नेतन्याहू को देने वाले है धोखा
दरअसल, हाल ही में अमेरिका और ईरान के वार्ताकारों के बीच ओमान की राजधानी मस्कट में परमाणु मामलों पर बातचीत हुई थी। ईरान की तरफ से ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची मस्कट पहुंचे थे। वहीं, अमेरिका की तरफ से बातचीत के लिए ट्रंप सरकार के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ पहुंचे थे। अब इस बारे में व्हाइट हाउस की तरफ से बयान जारी किया गया है। अब इस बातचीत में सबसे खास बात यह रही कि दोनों देशों के बीच परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत इतनी अच्छी रही कि दोनों पक्षों ने इसे अगले हफ्ते भी जारी रखने का ऐलान किया है। इससे ऐसा लग रहा है कि दोनों देश शांति चाहते हैं।
अभी तक दोनों देशों ने एक-दूसरे को युद्ध की चेतावनी ही दी है। लेकिन इस बार कुछ और ही देखने को मिला है। तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर सालों से बातचीत चल रही है, ताकि ईरान को परमाणु हथियारों से रोका जा सके। हालांकि, आज तक इस पर कभी आम सहमति नहीं बन पाई है।
विटकॉफ और अराघची के बीच बातचीत के बाद व्हाइट हाउस की ओर से एक बयान जारी किया गया। इसमें कहा गया, ये मुद्दे बहुत जटिल हैं और विशेष दूत विटकॉफ के साथ आज की सीधी बातचीत पारस्परिक रूप से लाभकारी परिणाम प्राप्त करने की दिशा में एक कदम आगे है। बयान में कहा गया कि दोनों पक्ष अगले शनिवार को फिर से मिलने के लिए सहमत हुए हैं। व्हाइट हाउस ने बातचीत को सकारात्मक और रचनात्मक बताया है।
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