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यहां 30 दिनों तक सुनाई देती हैं दुल्हनों की चीखें, मामला जानकर समझ नहीं पाएंगे दुखी हैं या खुश?

India News (इंडिया न्यूज), Tujia Community: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में शादी को लेकर अलग-अलग रीति-रिवाज हैं। कुछ रीति-रिवाज तो इतने अनोखे होते हैं कि उनके बारे में सुनकर हैरानी होती है। वहीं चीन के तुजिया समुदाय में शादी से पहले एक ऐसी ही अजीबोगरीब परंपरा निभाई जाती है। जिसे क्राईंग वेडिंग कस्टम कहते हैं। इस परंपरा के अनुसार दुल्हन को शादी से 30 दिन पहले रोजाना एक घंटे रोने के लिए कहा जाता है। यह परंपरा न सिर्फ तुजिया समाज की संस्कृति का खास हिस्सा है, बल्कि यह समाज के रिश्तों, प्यार और भावनाओं को व्यक्त करने का एक खास तरीका भी है। आइए आज तुजिया समुदाय की इस परंपरा के बारे में जानते हैं।

एक महीने तक क्यों रोती है दुल्हन?

बता दें कि, तुजिया समुदाय चीन के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित है। जिनमें हुबेई, हुनान और गुइझोउ प्रांत प्रमुख हैं। यह समुदाय अपनी खास सांस्कृतिक परंपराओं और रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है। जिसमें शादी के अनोखे तरीके भी शामिल हैं। तुजिया लोग अपनी सांस्कृतिक पहचान पर बहुत गर्व करते हैं और हर समारोह में पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हैं। इनकी शादियां भी दूसरे समुदायों से अलग होती हैं। सबसे दिलचस्प परंपराओं में से एक है रोने की परंपरा, जिसे दुल्हन के लिए भावनात्मक और मानसिक रूप से तैयार होने का एक तरीका माना जाता है। यह परंपरा आमतौर पर शादी से 30 दिन पहले शुरू होती है। यह परंपरा दुल्हन के परिवार में निभाई जाती है। इस दौरान दुल्हन हर दिन एक घंटे तक रोती है और इस दौरान परिवार के सदस्य, खासकर महिलाएं साथ में गाती हैं। ये गीत अक्सर पुराने पारंपरिक गीत होते हैं।

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कैसे निभाई जाती है यह परंपरा?

दरअसल, पहले दिन अकेले दुल्हन नहीं रोती, बल्कि उसकी मां और दादी भी उसके साथ गाती हैं। ये शुरुआती दिन बहुत भावुक होते हैं, क्योंकि यह दुल्हन के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है। इस दौरान दुल्हन अपनी मां के साथ अपने पुराने घर और परिवार को छोड़ने की तकलीफ को महसूस करती है। वहीं जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, दुल्हन के रोने का तरीका बदलता जाता है। वह गाने के साथ-साथ अपनी भावनाओं को और भी गहरे स्तर पर व्यक्त करती है। यह प्रक्रिया उसके अंदर के संघर्ष और बदलाव को उजागर करती है। रोने की एक महीने तक चलने वाली परंपरा के दौरान दुल्हन के घर को रिश्तेदारों और दोस्तों का समर्थन मिलता है। इस परंपरा के तहत हर दिन दुल्हन को सामूहिक रूप से परिवार और समुदाय का समर्थन और प्यार मिलता है।

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Raunak Pandey

रौनक पांडे बिहार की माटी से निकलकर दिल्ली में पत्रकारिता को सीख और समझ रहे हैं. पिछले 1.5 साल से डिजिटल मीडिया में बतौर कंटेंट राइटर सक्रिय हैं। अंतराष्ट्रीय और राष्ट्रीय राजनीति पर लिखना पसंद है.

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