India News (इंडिया न्यूज),UK Election 2024: ब्रिटेन के आम चुनाव के नतीजे अब पूरी तरह से साफ हो चुके हैं। भारतीय मूल के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी 650 सीटों वाली संसद में सिर्फ 121 सीटों पर सिमट गई है। कंजर्वेटिव पार्टी पिछले चुनाव से 250 सीटें कम पाकर 14 साल बाद सत्ता से बाहर हुई है। लेबर पार्टी बहुमत के लिए जरूरी 326 सीटों से कहीं ज्यादा 412 सीटें हासिल कर सत्ता में आई है। लेबर पार्टी के नेता कीर स्टारमर नए प्रधानमंत्री बने हैं, जबकि एंजेला रेनर को डिप्टी पीएम बनाया गया है।

कंजर्वेटिव पार्टी की 200 साल में सबसे बड़ी हार के बाद सुनक के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं, जिनके नेतृत्व में पार्टी ने ये चुनाव लड़ा था। ऐसी अफवाहें भी हैं कि इस हार के बाद सुनक अमेरिका लौट सकते हैं, जहां से उन्होंने एमबीए की डिग्री हासिल की है। हालांकि, वे पहले भी कई बार इन अटकलों को खारिज कर चुके हैं। आइए आपको 5 प्वाइंट्स में बताते हैं कि ऋषि सुनक के साथ क्या हो रहा है और उनका भविष्य कैसा दिख रहा है।

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1- कंजर्वेटिव पार्टी के नेता का पद भी छोड़ेंगे सुनक

चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी की हार के बाद ऋषि सुनक ने बकिंघम पैलेस पहुंचकर किंग चार्ल्स को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। उन्होंने पार्टी को हुए नुकसान की जिम्मेदारी ली है और पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से उनके भरोसे पर खरा न उतर पाने के लिए माफी मांगी है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ कर दिया है कि भविष्य में वह कंजर्वेटिव पार्टी के नेता के तौर पर काम नहीं करेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा है कि नए नेता के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही वह पार्टी प्रमुख के पद से इस्तीफा देंगे।

2. सांसद के तौर पर लोगों की सेवा करते रहेंगे

ऋषि सुनक की पार्टी भले ही चुनाव हार गई हो, लेकिन वह खुद रिचमंड और नॉर्थलेर्टन सीट से जीतकर सांसद चुने गए हैं। ऐसे में अगर उनके पुराने बयान पर यकीन किया जाए तो वह ब्रिटेन में रहकर अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों के लिए काम करेंगे।

3. पार्टी की बड़ी हार का कलंक बन सकता है परेशानी

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक अगर ऋषि सुनक ब्रिटेन में ही रहते हैं तो कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थक उनके लिए बड़ी परेशानी बनने वाले हैं। बीबीसी के मुताबिक भारतीय मूल के पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनना ऋषि सुनक के लिए गर्व की बात है, लेकिन इतनी बड़ी हार ने कंजर्वेटिव पार्टी के अंदर उनके भारतीय मूल के होने को लेकर विवाद शुरू कर दिया है। इसे एक बड़े कलंक के तौर पर देखा जा रहा है, जिसे मिटाना मुश्किल होगा। ऐसे में कंजर्वेटिव पार्टी के समर्थकों के गुस्से से बचने के लिए सुनक दूसरे देश में शिफ्ट हो सकते हैं।

4. बेटियों की पढ़ाई के लिए अमेरिका में पैसे देने का आरोप

ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति पर आरोप है कि उन्होंने अपनी दो बेटियों की पढ़ाई के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया के एक कॉलेज को पैसे दान किए हैं। कहा जा रहा है कि 30 लाख डॉलर का यह दान इसलिए दिया गया है ताकि सुनक दंपत्ति भी अमेरिका शिफ्ट हो सकें। हालांकि सुनक ने इस बात से इनकार किया है। सुनक ने उस समय यह भी बताया था कि अमेरिका में चांसलर रहते हुए उन्होंने अपना यूएस ग्रीन कार्ड लौटा दिया था। यह ग्रीन कार्ड उन्हें 2000 के दशक की शुरुआत में कैलिफोर्निया के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में एमबीए की पढ़ाई के दौरान मिला था। यहीं पर उन्हें इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति और भारतीय सांसद सुधा मूर्ति की बेटी अक्षता से प्यार हो गया और बाद में दोनों ने शादी कर ली।

5. ऋषि सुनक क्या करेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा

मीडिया से बातचीत में भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री लॉर्ड मेघनाद ने कहा है कि अभी ऋषि सुनक के भविष्य के बारे में अटकलें लगाना बेकार है। लेबर पार्टी के पूर्व सदस्य मेघनाद ने कहा कि बैंकर होने के नाते ऋषि सुनक आसानी से दूसरे लोगों से घुल-मिल नहीं पाते। ऐसे में यह वक्त पर छोड़ देना ही बेहतर है कि वह आगे क्या करेंगे।

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