India News (इंडिया न्यूज), UK General Elections 2024: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने आम चुनाव की घोषणा कर दी है। 4 जुलाई को चुनाव होंगे। सुनक की घोषणा चौंकाने वाली है क्योंकि अब तक यह चर्चा थी कि देश में आम चुनाव अगले साल दिसंबर या जनवरी तक हो सकते हैं। उनकी इस घोषणा के साथ ही ब्रिटेन में आम चुनाव को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया। नियमों के तहत, सुनक अब चार्ल्स किंग को चुनाव की तारीख के बारे में औपचारिक रूप से सूचित करेंगे। इसके बाद ब्रिटिश संसद भंग कर दी जायेगी।
ऐसे में सवाल ये है कि क्या ब्रिटेन में कोई चुनाव आयोग नहीं है? प्रधानमंत्री चुनाव की घोषणा क्यों करते हैं? यहां का आम चुनाव भारत से कितना अलग है और कैसे चुना जाता है ब्रिटेन का प्रधानमंत्री?
भारत में चुनावों की घोषणा चुनाव आयोग द्वारा की जाती है, लेकिन ब्रिटेन में इसकी घोषणा प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि यहां कोई चुनाव आयोग नहीं है। ब्रिटेन में, राजनीतिक दल, चुनाव और संदर्भ अधिनियम 2000 को वर्ष 2000 में पेश किया गया था। इसके बाद 2001 में देश में चुनाव आयोग की स्थापना की गई। यहां चुनाव आयोग को निर्वाचन आयोग के रूप में जाना जाता है। यह एक स्वतंत्र रूप से काम करने वाली एजेंसी है, जिसका काम राजनीतिक दलों पर नियंत्रण रखना है। चुनाव में कैसे और कितनी फंडिंग होनी चाहिए और चुनाव प्रक्रिया कैसे पूरी होगी, ऐसे सभी काम इस आयोग की जिम्मेदारी है।
इसके बाद सवाल उठता है कि चुनाव आयोग के बावजूद पीएम सुनक ने चुनाव की घोषणा क्यों की? इस के लिए एक कारण है। चुनाव की घोषणा को यहां भी एक अधिकार के तौर पर देखा जा रहा है। 2022 में फिक्स्ड टर्म इलेक्शन एक्ट निरस्त होने के बाद यह अधिकार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को दे दिया गया। इसलिए प्रधानमंत्री इसकी घोषणा करते हैं।
जिस प्रकार भारत में दो सदन हैं, लोकसभा और राज्यसभा, उसी प्रकार ब्रिटेन में भी दो सदन हैं। हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमन्स। सरकार बनाने या प्रधानमंत्री चुनने में हाउस ऑफ लॉर्ड्स की कोई भूमिका नहीं है। हाउस ऑफ कॉमन्स के सदस्यों को प्रधानमंत्री चुनने का अधिकार है। इस सदन में 650 सदस्य हैं। इस प्रकार ब्रिटेन में 650 निर्वाचन क्षेत्र हैं। हर सीट से एक उम्मीदवार जीतकर यहां पहुंचता है। यहां सरकार बनाने के लिए किसी भी पार्टी के पास जीती हुई 326 सीटें होनी चाहिए। भारत की तरह यहां भी अगर पार्टियों को बहुमत नहीं मिलता है तो वे गठबंधन बनाकर सरकार बना सकती हैं। ब्रिटेन में पिछले 14 साल से कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार है।
इस बार होने वाले चुनाव में ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी और लेबर पार्टी के बीच मुकाबला होगा। कंजर्वेटिव पार्टी से सुनक हो सकते हैं पीएम का चेहरा। सुनक को प्रतिद्वंद्वी पार्टी लेबर पार्टी के नेता सर कीर स्टार्मर के विरोध का सामना करना पड़ेगा। कीर स्टार्मर अप्रैल 2020 से लेबर पार्टी के नेता हैं और इंग्लैंड में लोक अभियोजकों के पूर्व निदेशक भी हैं।
ब्रिटेन में प्रधानमंत्री की दौड़ में कौन होगा ये पहले से ही तय है। प्रधानमंत्री बनने के लिए किसी भी उम्मीदवार को उस पार्टी के कम से कम 20 सांसदों का समर्थन चाहिए होता है। नामांकन के बाद पहले राउंड में वोटिंग होती है। अगर किसी उम्मीदवार को 30 से कम वोट मिलते हैं तो वह दौड़ से बाहर हो जाता है। इसके बाद कई राउंड की वोटिंग होती है। ऐसा तब तक होता है जब तक केवल दो उम्मीदवार न बचे हों।
दूसरे चरण में पार्टी के सदस्य डाक मत के माध्यम से मतदान करते हैं और पार्टी नेता का चुनाव किया जाता है। यहां जीतने वाला उम्मीदवार पार्टी नेता के साथ-साथ प्रधानमंत्री का पद भी संभालता है। यानी जो पार्टी जीतती है उसका नेता प्रधानमंत्री बनता है।
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