India News (इंडिया न्यूज), Ukraine Nuclear Weapons Agreement : रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध अब नाजुक दौर में पहुंच गया है। यूक्रेन द्वारा रूस पर अमेरिकी लंबी दूरी की मिसाइलों के इस्तेमाल ने मामले को और भी बिगाड़ दिया है। इसका जवाब देते हुए रूस ने गुरुवार को यूक्रेन के शहर द्निप्रो पर लंबी दूरी की अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) से हमला किया। यह दावा भी यूक्रेन ने किया है। अगर इस दावे में थोड़ी भी सच्चाई है तो यह इतिहास में पहली बार होगा कि किसी देश ने इस ICBM का इस्तेमाल किया है, जिसे परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम माना जाता है। ICBM के इस्तेमाल को लेकर मास्को की ओर से इन आरोपों का खंडन किया गया है। पुतिन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर उन पर पश्चिमी देशों के हथियारों का इस्तेमाल किया गया तो परमाणु युद्ध शुरू हो सकता है। इन सब बातों की वजह से दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा भी मंडरा रहा है।
यूक्रेन के पास फिलहाल कोई भी परमाणु हथियार नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक समय ऐसा भी था जब यूक्रेन परमाणु हथियारों के मामले में तीसरे नंबर पर था। रूस और अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा परमाणु हथियार यूक्रेन के पास थे। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि अब यूक्रेन के पास एक भी परमाणु हथियार नहीं है? आइए इस पर एक नज़र डालते हैं।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि एक समय ऐसा भी था जब सोवियत संघ से विरासत में मिले यूक्रेन के पास रूस और अमेरिका के बाद परमाणु हथियारों का तीसरा सबसे बड़ा भंडार था। वाशिंगटन डीसी स्थित वैश्विक सुरक्षा संगठन न्यूक्लियर थ्रेट इंस्टीट्यूट (NTI) के अनुसार, “1991 में स्वतंत्रता के समय यूक्रेन के पास 1,900 सोवियत सामरिक परमाणु हथियार और 2,650-4,200 सोवियत सामरिक परमाणु हथियार थे।” यूक्रेन, जो अब एक गैर-परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र है, के पास तब 170 से ज़्यादा अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलें (ICBM) और थर्मोन्यूक्लियर वारहेड भी थे। इसके पास 176 ICBM मिसाइलें भी थीं जिनकी न्यूनतम सीमा 5,500 किलोमीटर तक थी।
1990 के दशक की शुरुआत में, यूक्रेन अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक जाना-माना नाम नहीं था और एक स्वतंत्र राष्ट्र बनने के लिए मान्यता प्राप्त करने के लिए उसे प्रतिष्ठा और पहचान बनाने की ज़रूरत थी। इसने 5,000 से ज़्यादा परमाणु हथियारों के अपने भंडार का इस्तेमाल सौदेबाज़ी के लिए किया। हार्वर्ड की मारियाना बुडजारिन ने NPR को एक अलग साक्षात्कार में बताया, “इन हथियारों को रखने से यूक्रेन को बहुत ज़्यादा आर्थिक और अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिणाम भुगतने पड़ते। इसलिए यह कोई आसान फ़ैसला नहीं था।”
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यूक्रेन ने 1991 में स्वतंत्रता की घोषणा की और 1994 में परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर किए, जो 1968 में परमाणु हथियारों के ख़िलाफ़ एक बड़ा समझौता था। इस समझौते ने यूक्रेन की संप्रभुता की सुरक्षा की गारंटी दी और इसे बुडापेस्ट मेमोरेंडम के नाम से जाना जाता है। रूसी आक्रामकता के बीच इस पर काफ़ी बहस हो रही है। यूक्रेन ने 2 जून, 1996 को अपना परमाणु टैग खो दिया, जब आखिरी परमाणु हथियार रूस पहुंचा। कई वरिष्ठ यूक्रेनी सैन्य अधिकारियों का मानना है कि यूक्रेन को कभी भी परमाणु बढ़त नहीं छोड़नी चाहिए थी। अब स्थिति ऐसी है कि यूक्रेन को रीस के साथ युद्ध जारी रखने के लिए अमेरिका और नाटो देशों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
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