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UN Report On Climate 2030 तक जलवायु खतरों की जद में होगी दुनिया की आधी आबादी

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:

UN Report On Climate अगले नौ साल में चार अरब लोग जलवायु के खतरों की जद में होंगे। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। यूनिवसिर्टी आफ चिले के सेंटर फॉर क्लाईमेट रिजिलिएंस एंड रिसर्च द्वारा मैकिंजी कंपनी के साथ मिलकर तैयार किए गए इस विश्लेषण में कहा गया है कि इस सबके बावजूद वर्ष 2030 तक दुनिया की आधी आबादी यानी चार अरब लोग जलवायु खतरों की जद में होंगे।

किसी भी सूरत में दो अरब लोगों से यह खतरा टलता नहीं दिख रहा है। बता दें कि इन दिनों ब्रिटेन के ग्लास्गो में जलवायु परिवर्तन को लेकर वार्ता चल रही है। बैठक में तापमान बढ़ोतरी को सदी के अंत तक डेढ़ डिग्री तक सीमित रखने पर चिंतन-मनन हो रहा है।

UN Report On Climate जानिए वर्तमान में दुनिया की कितनी फीसदी आबादी कर रही जलवायु खतरों का सामना

यूएन की रिपोर्ट के अनुसार नए विश्लेषण बताते हैं कि यदि तापमान में वृद्धि 1.5 डिग्री की राह पर ही रहती है तो भी 2030 तक दुनिया भर में चार अरब लोगों को जलवायु खतरों से जूझना होगा। अभी करीब 43 फीसदी आबादी जलवायु खतरों का सामना कर रही है। लेकिन यदि दुनिया दो डिग्री की मौजूदा तापमान बढ़ोतरी की राह पर ही चलती है तो यह खतरा ज्यादा भयावह होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक जिन दो करोड़ लोगों को चरम जलवायु खतरों का सामना करना पड़ेगा, उसमें सबसे ज्यादा लोग घातक गर्म हवाओं की चपेट में आएंगे।

UN Report On Climate 2050 तक शहरों में रहने वाले 80 करोड़ लोग प्रभावित होंगे

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रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक शहरों में रहने वाले 80 करोड़, ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले 10 करोड़ तथा समुद्र तटीय इलाकों में बसने वाले 40 करोड़ और लोग प्रभावित होंगे। इस प्रकार यदि तुरंत जमीनी स्तर पर कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिए प्रयास नहीं किए जाते तो प्रभावित लोगों का आंकड़ा 5.30 अरब तक पहुंच जाएगा। उसके बाद बाढ़ और सूखे से सर्वाधिक प्रभावित होंगे। रिपोर्ट के अनुसार, भीषण गर्मी के कारण घर से बाहर किए जाने वाले श्रमिक कार्य सर्वाधिक प्रभावित होंगे और इससे लोगों के 25 फीसदी कार्यघंटों का नुकसान होगा।

UN Report On Climate खतरों से बचने के लिए शुरू किया है ‘रेस टू रिजिलिएंस’ अभियान

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु खतरों को कम करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के समर्थन से ‘रेस टू रिजिलिएंस’ अभियान शुरू किया गया है। इसका मकसद गैर सरकारी संस्थाओं को भी इन खतरों से निपटने के उपाय सुनिश्चित कराना है। पहली बार उन्हें मानवीय गतिविधियों के होनेवाले प्रभावों के आकलन में शामिल किया गया है। इनमें शहर, बिजनेस, क्षेत्र आदि शामिल किए गए हैं। यह गतिविधियां सरकारों द्वारा की जाने वाली गतिविधियों के अलावा होंगी।

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Vir Singh

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