India News(इंडिया न्यूज)UNHRC:पाकिस्तानी सेना के व्यवहारिक बर्ताव से पूरी दुनिया वाकिफ है। वहीं पाकिस्तानी सेना के इस बर्ताव का जिक्र अब सामूहिक रुप से भी होने लगा है। जानकारी के लिए बता दें कि, पाकिस्तानी सैन्य बल पर सवाल खड़ करते हुए शोध विश्लेषक मिशेला मुतोवसिएव ने यूएनएचआरसी एम्स्टर्डम स्थित ईएफएसएएस थिंक-टैंक पाकिस्तानी सेना द्वारा मानवाधिकार के उल्लंघन और अत्याचारों का मुद्दा उठाया है।
शोध विश्लेषक मिशेला ने पाकिस्तानी सेना के विचारधारा पर प्रहार करते हुए कहा कि, खासतौर पर चिंता का विषय यह है कि राज्य की नीति के हिस्से के रूप में जबरन गायब करने, मनमाने ढंग से हिरासत में लेने, अपहरण और यातना के जरिए मानवाधिकार समर्थकों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को लक्षित करते हुए सभी प्रकार के विरोध और अंसतोष के प्रति इसका रवैया है।
इसके साथ ही मिशेला ने कुछ 800 मामलों की जांच के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि, संयुक्त राष्ट्र कार्य समूह ने पाकिस्तान में 800 मामलों की जांच की है, लेकिन देश के जबरन गायब होने के मामलों के जांच आयोग ने 8,000 से अधिक मामले दर्ज किए हैं, जबकि पश्तून और बलूच समूहों का दावा है कि ये हजारों में हैं। शोध विश्लेषक ने संयुक्त राष्ट्र को बताया कि ऐसा लगता है कि ये तरीके विकसित हो गए हैं और यहां तक कि विदेशों में पाकिस्तान से असंतुष्ट लोगों की हत्या भी अब कोई अपवाद नहीं है।
एम्स्टर्डम स्थित ईएफएसएएस थिंक-टैंक के समारोह में मिशेला ने आगे कहा कि, पाकिस्तान को कानून का शासन लागू करने और समाज के लोकतंत्रीकरण की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए इस परिषद के तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया जाए, जिससे देश के अंदर और बाहर जबरन गायब होने की घटनाओं को समाप्त करने और मानवाधिकारों के लिए सम्मान की गारंटी मिल सके।
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