India News (इंडिया न्यूज), US Warning On Terrorism : हर चीज में भारत की नकल करना पाकिस्तान की आदत बन गई है। ऑपरेशन सिंदूर और पाक के आतंकी चेहरे बेनकाब करने के लिए भारत ने दुनिया के कई देशों में अपने सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को भेजा है।
इसके देखा देख पाकिस्तान की शहबाज सरकार ने भी ऐसा ही एक डेलिगेशन भेजा है, लेकिन ये दाव उनपर उल्टा पड़ा गया। जहां एक तरफ भारतीय प्रतिनिधिमंडल को जो काम सौंपा गया था, उसको उन्होंने पूरा किया है और इसका असल देखने को भी मिल रहा है।
US Warning On Terrorism : भारत से पंगा लेना बिलावल भुट्टो को पड़ा भारी…अमेरिका में हुई ऐसी बेज्जती
दुनिया के कई देशों ने ऑपरेशन सिंदूर आतंक के खिलाफ उसकी लड़ाई में भारत का साथ दिया है। वहीं पाक के डेलिगेशन को किसी का साथ को नहीं मिला लेकिन अमेरिका में सख्त आलोचना का सामना जरूर करना पड़ा।
असल में वॉशिंगटन पहुंचे बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व वाले पाक डेलिगेशन को अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन ने आतंक को लेकर खरी-खरी सुनाई है। शेरमैन ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, खासतौर पर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ, जिनका हाथ पत्रकार डैनियल पर्ल की 2002 में हुई हत्या में भी था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए ब्रैड शेरमैन ने लिखा कि, मैंने पाकिस्तान से आए प्रतिनिधिमंडल को बताया कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कितनी जरूरी है, खासकर जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुटों के खिलाफ. इसी संगठन ने मेरे निर्वाचन क्षेत्र के पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या की थी. उनके परिवार के लोग आज भी वहीं रहते हैं. पाकिस्तान को चाहिए कि वह इस खतरनाक आतंकी संगठन को पूरी तरह खत्म करने के लिए हर जरूरी कदम उठाए।
इसके अलावा शेरमैन ने पाकिस्तान से डॉ. शकील अफरीदी को रिहा करने की मांग की है। बता दें कि डॉ. अफरीदी को ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में CIA की मदद करने के कारण 33 साल की सजा दी गई थी।
आपको बता दें कि जब बिलावल भुट्टो का प्रतिनिधिमंडल अमेरिका पहुंचा, तो भारत की ओर से शशि थरूर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल पहले से ही वॉशिंगटन में था। बिलावल ने सबसे पहले न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और सुरक्षा परिषद के कुछ राजदूतों से मुलाकात की।
इसके बाद वे वॉशिंगटन पहुंचे, जहां उन्होंने कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की, लेकिन वहां उन्हें समर्थन नहीं मिला। उल्टे उन्हें अपने देश में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की सलाह दी गई।