India News (इंडिया न्यूज), Vladimir Putin Birthday: पिछले तीन सालों से रूस के राष्ट्रपति दुनिया के सामने यूक्रेन और नाटो के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं। सोमवार को वह अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने अपने जीवन के साथ-साथ अपने देश रूस में भी कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और 21वीं सदी में देश के शीर्ष पद पर काबिज होकर रूस का नेतृत्व कर रहे हैं। गरीब परिवार में जन्मे पुतिन ने कानून की पढ़ाई करने के बाद सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी में एक छोटे से पद से शुरुआत की और फिर देश के राष्ट्रपति पद तक पहुंचे और पिछले 25 सालों से देश के राष्ट्रपति पद पर काबिज हैं। उनके रूस के शीर्ष नेता बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है।

जन्म से पहले ही परिवार का संघर्ष

पुतिन के दादा व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के निजी रसोइए थे। उनके माता-पिता की शादी 17 साल की उम्र में हो गई थी। उनके पिता द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ग्रेनेड के कारण घायल हो गए थे और विकलांग हो गए थे। उनकी मां लेनिनग्राद में भूख से बाल-बाल बची थीं। उनके जन्म से पहले उनके दो भाई बचपन में ही मर गए थे। पुतिन का जन्म लेनिनग्राद (आज का सेंट पीटर्सबर्ग) में 7 अक्टूबर 1952 को हुआ था। उनके जन्म के बाद भी परिवार का संघर्ष कम नहीं हुआ। पुतिन के पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे और उनकी मां सड़कों पर झाड़ू लगाती थीं। परिवार को दूसरे परिवारों के साथ एक सामुदायिक अपार्टमेंट में रहना पड़ता था, जहां गर्म पानी नहीं था और चूहों की भरमार थी।

उसने चूहे को मार डाला और भगा दिया

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पुतिन का परिवार सेंट पीटर्सबर्ग के एक छोटे से अपार्टमेंट में रहने लगे थे। एक बार एक चूहे ने पुतिन को काटने की कोशिश की थी। पुतिन उस वक्त काफी डरे गए थे। वे अपार्टमेंट की ओर जा रहे थे तभी उनका सामना एक चूहे से हो गया। पुतिन ने चूहे के चेहरे पर इतनी जोर से दरवाजा मारा कि वह अधमरा हो गया। पुतिन ने अपनी आत्मकथा में कहा था कि जब उनके पास थोड़ा समय होता था तो वह चूहों को पकड़ते थे और उन्हें अपार्टमेंट से बाहर फेंक देते थे।

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान मदद

भारत ने 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में जबरदस्त जीत हासिल की थी। 1971 में भारत ने रूस के साथ एक संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके अनुसार अगर भारत पर हमला होता है तो इसे सोवियत संघ पर हमला माना जाएगा और इसके लिए सोवियत संघ अपनी सेना भेजेगा। उस समय अमेरिका और ब्रिटेन ने पाकिस्तान का साथ दिया था। दोनों चाहते थे कि युद्ध का नतीजा पाकिस्तान के पक्ष में हो।

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बांग्लादेश के समय भी की मदद

6 दिसंबर को भारत ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी और उसके बाद अमेरिका ने अपने नौसेना के सातवें बेड़े के एक हिस्से को हस्तक्षेप के लिए बंगाल की खाड़ी में जाने का आदेश दिया। उसी समय ब्रिटेन ने अपने शक्तिशाली युद्धपोत एचएमएस ईगल को अरब सागर की ओर भेजा। जवाब में सोवियत संघ ने परमाणु हथियारों से लैस युद्धपोत और पनडुब्बियां भेजीं।

कश्मीर मुद्दे पर वीटो का इस्तेमाल किया गया

भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध कभी भी सामान्य नहीं रहे। दोनों देश कई बार युद्ध में आमने-सामने आ चुके हैं। इन युद्धों में पाकिस्तान को हर बार हार का सामना करना पड़ा है, इसके बावजूद पाकिस्तान इसे मानने को तैयार नहीं है।

रक्षा क्षेत्र में रूस का योगदान कम नहीं

इस साल भारत ने सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की पहली खेप फिलीपींस को भेजी है। इसके लिए दोनों देशों के बीच करीब 31.25 अरब रुपये का सौदा हुआ है। दुनिया में सबसे ज्यादा हथियार आयात करने वाले देश के लिए ब्रह्मोस का निर्यात बड़ी बात है। भारत ने रूस की मदद से ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें बनाई हैं। यह रूस द्वारा अपनी तकनीक साझा करने की वजह से ही संभव हो पाया है। साथ ही भारत में कई परमाणु संयंत्रों के निर्माण में रूस की अहम भूमिका रही है। साथ ही 1960 के दशक में सोवियत संघ ने भारत को मिग-21 विमान दिए थे। भारत की पहली फॉक्सट्रॉट क्लास पनडुब्बी भी रूस से ही ली गई थी। रक्षा क्षेत्र में रूस का भारत में योगदान किसी भी तरह से कम नहीं है।

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भारत के औद्योगीकरण में अहम योगदान

भारत और रूस की दोस्ती गहरी और बहुत पुरानी है। आजादी के बाद जब भारत दुनिया के नक्शे पर खुद को मजबूती से स्थापित करने की कोशिश कर रहा था, तब तत्कालीन सोवियत संघ ने उसकी मदद की थी। आज भारत में जो औद्योगिकीकरण हम देख रहे हैं, उसकी नींव रखने में सोवियत संघ की बहुत बड़ी भूमिका रही है। भारत में बोकारो-भिलाई कारखाने, भाखड़ा-नांगल बांध, हैदराबाद फार्मास्युटिकल प्लांट, दुर्गापुर प्लांट जैसे अनेक उदाहरण हैं, जिनकी स्थापना में रूस की बहुत बड़ी भूमिका रही है।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी मदद की

आज भारत अपनी अंतरिक्ष परियोजनाओं के कारण पूरी दुनिया में चर्चा का केंद्र है। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब उसके सबसे अच्छे और भरोसेमंद दोस्त रूस ने इस क्षेत्र में भी भारत की मदद करने में अपनी भूमिका निभाई थी।

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1960 के दशक की शुरुआत में सोवियत संघ ने ही मिग-21 लड़ाकू विमानों के साथ भारत में सैन्य प्रौद्योगिकियों को हस्तांतरण करना शुरू किया था।

समय के साथ-साथ रूस और भारत और रूस के बीच बॉयर ज्वाइंट रिसर्च, डिजाइन डेवलपमेंट, सेलर रिलेशनशिप, ज्वाइंट रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग के क्षेत्र में सगयोग की नई कहानी लिखी गई है।

दिसंबर 2021 में जब मोदी और पुतिन नई दिल्ली में मिले थे, तब दोनों देशों ने भारत में 6,01,427 रूसी AK-203 राइफल बनाने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने सैन्य-तकनीकी सहयोग पर समझौते को अगले 10 वर्षों के लिए नवीनीकृत भी किया।

भारत के सशस्त्र बलों द्वारा वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले लगभग 85 प्रतिशत हथियार रूस या फिर पूर्ववर्ती राज्य सोवियत संघ से लिए हैं।

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