India News (इंडिया न्यूज), UNSC Permanent Membership: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर फिर से बात चलने लगी है। लेकिन इसके पीछे कौन से देश है जो रोड़ा बने हुए हैं। अगर हम सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्यों की बात करें तो एक चीन ही इस पर वीटो लगाता आया है। लेकिन अगर चीन मान भी जाए तो भारत के लिए राहें आसान नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता पाने में भारत के रास्ते में और भी रोड़ें हैं। आज हम उन्हीं के बारे में विस्तार से समझेंगे।
अगर हम अस्थाई सदस्य की बात करें तो भारत कई बार अस्थाई सदस्य रह चुका है, तो वहीं भारत को स्थाई सदस्यता देने के लिए 4 स्थाई सदस्य तैयार है, लेकिन इसके लिए चीन अब तक तैयार नहीं है। अगर भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता मिल जाती है तो इससे चीन को काफी नुकसान हो सकता है। इसके अलावा बाकी देशों से भारत की घनिष्ठता के चलते चीन अलग-थलग पड़ सकता है। लेकिन मामला यहीं फंसा हुआ नहीं है। दरअसल एक ऐसा गुट भी है, जिसका काम भारत या जापान जैसे देशों को यूएनएससी में जगह मिलने से रोकना है।
UNSC Permanent Membership ( संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता)
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यूनाइटेड फॉर कंसेंशस (यूएफसी) वैसे कोई ऑफिसियल ग्रुप नहीं है, लेकिन इसमें बहुत से देश शामिल हैं, इसलिए कोई भी इन देशों से सीधी नाराजगी नहीं लेना चाहेगा। 90 के दशक में बने यूएफसी का कहना है कि सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्य पांच ही रहें। भारत, जापान, जर्मनी या दक्षिण अफ्रीका कोई भी इसमें शामिल न हो। इसके बदले अस्थाई सदस्यों को बढ़ा दिया जाए। फिलहाल 10 अस्थाई मेंबर हैं, जो हर दो साल के लिए चुने जाते हैं, लेकिन इनके पास खास ताकत नहीं होती है। अगर हम यूएफसी की बात करें तो इस ग्रुप में कई देश हैं, जो भारत के धुर विरोधी रहे हैं या किसी न किसी तरह से घेरने की कोशिश करते रहे हैं। जैसे पाकिस्तान, कनाडा, बांग्लादेश और तुर्की।