India News (इंडिया न्यूज), Hindus in Pakistan: दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति ठीक नहीं है। यही वजह है कि पाकिस्तान से भारत आने वाले हिंदुओं समेत दूसरे अल्पसंख्यक वापस नहीं जाना चाहते। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं पर कौन सा कानून लागू है। सबसे पहले जानते हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति कैसी है। आपको बता दें कि पाकिस्तान में सबसे ज्यादा इस्लाम धर्म का पालन किया जाता है। यहां इस्लाम को मानने वालों की संख्या 96% से ज्यादा है। वहीं हिंदू, ईसाई, सिख और जैन जैसे धर्मों को मानने वाले लोग अल्पसंख्यक हैं।

पाकिस्तान में कितने हिंदू?

पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (PBC) ने पिछले साल 7वीं जनसंख्या और आवास जनगणना 2023 की रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2023 में पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 24,04,58,089 थी। रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें 96.35 फीसदी मुस्लिम हैं। 2023 में हिंदुओं की आबादी बढ़कर 38 लाख हो गई है। ईसाइयों की आबादी भी बढ़कर 3.3 मिलियन हो गई है। अहमदियों की आबादी बढ़कर 162,684 हो गई है। आसान भाषा में आप समझ सकते हैं कि पाकिस्तान में मुसलमानों के अलावा दूसरे धर्मों के लोगों की संख्या बहुत कम है।

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पाकिस्तान में कानून?

अब सवाल यह है कि पाकिस्तान में सभी लोगों के लिए कौन सा कानून है। आपको बता दें कि पाकिस्तान में भी यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसा ही कानून है। आपको बता दें कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मतलब है कि देश में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक ही कानून है, चाहे उनका धर्म, जाति, लिंग कुछ भी हो। पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है, इसलिए वहां शरिया कानून लागू है। पाकिस्तान में गैर-इस्लामिक कानून प्रतिबंधित है। आपको बता दें कि शरिया कानून कुरान और हदीस से प्रेरित है। हालांकि, पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए कोई अलग कानून नहीं है।

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हिंदुओं के लिए कौन सा कानून?

पाकिस्तान के संविधान के मुताबिक, पाकिस्तान दंड संहिता कानून है। जिसके तहत हिंदुओं को सजा दी जाती है। पूरे पाकिस्तान के लिए एक ही कानून है। इसके अलावा पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू इस्लाम से जुड़ी किसी भी चीज़ का विरोध नहीं कर सकते। अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें ईशनिंदा कानून के तहत मौत की सज़ा दी जा सकती है। पिछले सालों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें पाकिस्तान के नागरिकों को ईशनिंदा कानून के तहत सज़ा दी गई है।