बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, ‘बुचा की चुड़ैलें’ आधुनिक हथियारों से नहीं, बल्कि पुराने ज़माने के हथियारों से लड़ रही हैं। उनके पास 1939 में बनी ‘मैक्सिम’ मॉडल की मशीन गन हैं, जिन पर सोवियत काल के लाल सितारे का निशान है। हालांकि, वे इन पुराने हथियारों का बहुत कुशलता से इस्तेमाल कर रही हैं और उन्होंने इस गर्मी में तीन रूसी ड्रोन को मार गिराने का दावा किया है।
हाल ही में इस समूह में 51 वर्षीय वाल्किरी नाम की महिला शामिल हुई हैं। वे कहती हैं, “मेरा वजन 100 किलो है और मैं दौड़ नहीं सकती, लेकिन फिर भी मैं इस लड़ाई का हिस्सा हूँ।” वहीं, उनकी दूसरी साथी इना हंसते हुए कहती हैं, “यह काम डरावना है, लेकिन तीन बच्चों को जन्म देना भी आसान नहीं था। यूक्रेनी महिलाएं कुछ भी कर सकती हैं।”
इस समूह की कई महिलाएं भावनात्मक कारणों से इस लड़ाई में शामिल हुई हैं। वाल्किरी का कहना है कि युद्ध की शुरुआत में जब उनका परिवार बुचा से भाग रहा था, तो एक रूसी सैनिक ने उनके बच्चे के सिर पर बंदूक तान दी थी। उस भयावह क्षण ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया और आज उसी दर्द और गुस्से से प्रेरित होकर वे लड़ाई में शामिल हो गई हैं। 52 वर्षीय आन्या ने कहा, “जब मैंने सुना कि रूसी सेना बच्चों को मारने आ रही है, तो मैंने तय कर लिया कि मैं उन्हें कभी माफ नहीं करूंगी।”
गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को करीब 1000 दिन हो चुके हैं और यूक्रेनी सेना को अब तक कोई बड़ी सफलता नहीं मिली है। इसके बावजूद महिलाओं की सेना हार मानने को तैयार नहीं है। उनके लिए यह युद्ध सिर्फ देश की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि उनके अपने अस्तित्व और स्वाभिमान के लिए भी है। वाल्किरी कहती हैं, “हम यहां इसलिए आए हैं ताकि यह युद्ध जल्द से जल्द खत्म हो जाए।”
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