India News (इंडिया न्यूज),US:20 जनवरी को ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। सत्ता में आने के बाद से अमेरिका के नए प्रेसिडेंट ने कई कड़े फैसले लिए। जिसमें अवैध अप्रवासियों को उनके देश वापस भेजना भी शामिल है। इसे लेकर देश में कार्रवाई भी हो रही है। इससे ट्रंप प्रशासन और सिखों के बीच तनातनी शुरू हो गई है।अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) के अधिकारियों ने न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के गुरुद्वारों का दौरा किया। सिखों को यह कार्रवाई पसंद नहीं आई और उन्होंने नाराजगी जताई। ट्रंप के शपथ ग्रहण के तुरंत बाद गृह सुरक्षा विभाग ने बिडेन प्रशासन की उस नीति को निरस्त कर दिया, जिसके तहत गुरुद्वारों या चर्च जैसे पूजा स्थलों सहित संवेदनशील क्षेत्रों में या उसके आसपास कानून प्रवर्तन पर रोक थी।

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीएचएस का मानना ​​है कि न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी के कुछ गुरुद्वारों का कथित तौर पर अवैध और बिना दस्तावेज वाले अप्रवासियों के साथ-साथ सिख अलगाववादियों द्वारा केंद्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

होमलैंड सुरक्षा विभाग के प्रवक्ता ने कहा, यह कार्रवाई आव्रजन कानूनों को लागू करने और हत्यारों और बलात्कारियों सहित आपराधिक विदेशियों को पकड़ने का अधिकार देती है, जो अवैध रूप से हमारे देश में घुस आए हैं। प्रवक्ता ने कहा कि अब अपराधी गिरफ्तारी से बचने के लिए अमेरिका के स्कूलों और चर्चों में छिप नहीं पाएंगे।

सिख संगठनों ने व्यक्त की तीखी प्रतिक्रिया

कुछ सिख संगठनों ने इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। वे इसे अपने धर्म की पवित्रता के लिए खतरा मानते हैं। सिख अमेरिकन लीगल डिफेंस एंड एजुकेशन फंड (SALDEF) ने एक बयान जारी कर उन दिशा-निर्देशों को निरस्त करने के फैसले पर चिंता व्यक्त की, जो पहले पूजा स्थलों सहित संवेदनशील क्षेत्रों में आव्रजन प्रवर्तन कार्रवाई को प्रतिबंधित करते थे।

SALDEF की कार्यकारी निदेशक किरण कौर गिल ने कहा, हम होमलैंड सुरक्षा विभाग के संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा समाप्त करने और फिर गुरुद्वारों जैसे पूजा स्थलों को निशाना बनाने के फैसले से बेहद चिंतित हैं। गिल ने कहा कि गुरुद्वारे सिर्फ पूजा स्थल नहीं हैं। वे सिखों को सहायता, पोषण और आध्यात्मिक सांत्वना प्रदान करने वाले सामुदायिक केंद्र के रूप में काम करते हैं।

सिख संगठन ने कहा कि वारंट के साथ या उसके बिना छापेमारी करना सिख धर्म की परंपरा के लिए अस्वीकार्य है। इसमें कहा गया है कि इससे सिखों के एकत्र होने और हमारे धर्म के अनुसार एक-दूसरे से जुड़ने की क्षमता सीमित होकर धार्मिक अभ्यास पर बोझ पड़ेगा। सिख मदद कर रहे हैं सिखों के दिलों पर जहां हमला हुआ, वहीं यह समुदाय लॉस एंजिल्स में लगी आग के बाद लोगों की मदद में लगा हुआ है। सिख अमेरिकी गैर-लाभकारी संस्था हजारों लोगों को मुफ्त भोजन और आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने के लिए आगे आई है।

सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक के जीवन और शिक्षाओं से प्रेरित गैर-लाभकारी संगठन लेट्स शेयर ए मील के ओमकार सिंह ने कहा कि स्वयंसेवकों की एक टीम उन लोगों को आवश्यक वस्तुएं वितरित कर रही है जिनके घर जल गए हैं। न्यूजर्सी के एक व्यवसायी ने कहा कि जिन लोगों के घर जल गए हैं, उन्हें मदद की जरूरत है, लेकिन उससे भी ज्यादा उन्हें आश्वासन की जरूरत है। अमेरिका में कितने सिख रहते हैं? 2021 की जनगणना के अनुसार, सिख समुदाय के 5 लाख से अधिक लोग अमेरिका में रहते हैं। उनकी सबसे बड़ी आबादी कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क और वाशिंगटन में रहती है। 18 हजार भारतीयों को वापस लेगा भारत! अमेरिका में 18 हजार भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत सरकार उन्हें वापस लेने की योजना पर काम कर रही है। प्यू रिसर्च सेंटर के मुताबिक, अमेरिका में करीब 725,000 भारतीय अप्रवासी हैं, जो मैक्सिको और अल साल्वाडोर के बाद तीसरा सबसे बड़ा समूह है। भारत सरकार ने निर्वासन के आंकड़ों की पुष्टि नहीं की, लेकिन कहा कि वे अवैध आव्रजन की समस्या से निपटने के लिए अमेरिका के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

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