India News (इंडिया न्यूज), Sheikh Hasina: शेख हसीना ने जब 05 अगस्त को बांग्लादेश के पीएम पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत में शरण ली थी।जिसके बाद से यह चर्चा हो रही थी की पूर्व पीएम अब लंदक जाएंगी । लेकिन वह अभी भारत में हैं। भारत ने अब यह साफ कर दिया है कि वह ज्यादा दिनों तक उन्हे अपने यहां नहीं रखना चाहता। वहीं कई लोग जानाना चाहते होंगे कि भारत क्यों शेख हसीना को देश में लम्बे समय तक राजनीतिक शरण नहीं देना चाहता है। हालांकि, शेख हसीना भी शायद भारत में नहीं रहना चाहती हैं।
बेशक, शेख हसीना एक समय में भारत में निर्वासन का लंबा समय बिता चुकी हैं। वह कई सालों तक दिल्ली में रही हैं। उनके बच्चे नैनीताल से लेकर तमिलनाडु तक पढ़े हैं। उन्होंने भी भारत को अपना दूसरा घर माना है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी उन्हें अपनी दूसरी बहन मानते थे। 1975 से 1981 के बीच जब वह अपने निर्वासन काल में दिल्ली में रहीं, तो इंदिरा गांधी और प्रणब मुखर्जी के घर के दरवाजे हमेशा उनके लिए खुले रहे।
भारत रणनीतिक तौर पर शेख हसीना के मामले में सावधानी से कदम बढ़ा रहा है। भारत नहीं नहीं चाहता कि उसका कोई भी कदम बांग्लादेश के साथ संबंधों में तनाव पैदा करें। हालाकि भारत शेख हसीना को ब तक सुरक्षित जरूर रखना चाहता है, जब तक उन्हें किसी देश में राजनीतिक शरण नहीं मिल जाती। लेकिन ज्यादा समय तक नहीं, क्योंकि वह जितना ज्यादा समय तक भारत में रहेंगी, बांग्लादेश में भारत के खिलाफ नाराजगी उतनी ही बढ़ सकती है और फिर वहां रहने वाले भारतीय नागरिकों और हिंदू लोगों के लिए मुश्किल हो सकती है।
शेख हसीना के भारत में रहने के वजह से बांग्लादेश के साथ तनाव बढ़ सकता है भारत हसीना का खुलकर समर्थन करने को लेकर सतर्क है, क्योंकि ऐसा करने से बांग्लादेश में नई सरकार के साथ उसके रिश्ते जटिल हो सकते हैं। भारत सरकार का उद्देश्य तटस्थता बनाए रखना है। फिलहाल बांग्लादेश में जो भी राजनीतिक इकाई उभरती है, उसे उसमें शामिल होना पड़ता है, खास तौर पर बांग्लादेशी आबादी में भारत विरोधी भावनाओं को बढ़ने से रोकने के लिए।
बता दें भारत का दलाई लामा जैसे संकटग्रस्त नेताओं को शरण देने का इतिहास रहा है। हालांकि भारत को हमेशा इसके लिए भी चीन की नाराजगी झेलनी पड़ी है, लेकिन दलाई लामा को शरण देकर भारत ने हमेशा वैश्विक कूटनीति में एक अलग संदेश दिया है। दुनिया ने हमेशा इसे सही माना है। भारत ने हसीना को 1970 के दशक के आखिर में जरूर शरण दी थी। तब स्थिति बिल्कुल अलग थी। बांग्लादेश के लोगों में उनके प्रति कोई नाराजगी नहीं थी और न ही चीन भारत के पड़ोसियों को इस तरह से लुभाकर हमारे आसपास अजीब सी बेचैनी पैदा कर रहा था। अब भारत नहीं चाहेगा कि बांग्लादेश में बनने वाली नई सरकार पूरी तरह से चीन की तरफ झुक जाए।
चीन ने भारत के कई पड़ोसियों को लुभाकर वहां अपना प्रभाव बढ़ाया है, जिसमें नेपाल से लेकर श्रीलंका और मालदीव शामिल हैं। पाकिस्तान हमारे लिए घोषित दुश्मन देश है, उसे चीन से भी पर्याप्त समर्थन मिलता है।
इस समय भारत के पड़ोसियों में पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका, म्यांमार और नेपाल काफी हद तक चीन की चालों में फंसे हुए हैं। भूटान ने काफी हद तक सतर्क तटस्थता बनाए रखना शुरू कर दिया है। शेख हसीना के शासन के दौरान बांग्लादेश ही एकमात्र ऐसा पड़ोसी बचा था जो उसके करीब था। भारत भविष्य में भी इस स्थिति को बनाए रखना चाहेगा।
वहीं शेख हसीना को भारत ज्यादा दिन तक देश में नहीं रखना चाहेगा क्योंकि इस समय बांग्लादेश में शेख हसीना के प्रति लोगों का गुस्सा काफी ज्यादा है। इसलिए उन्हें इस्तीफा देकर वहां से भागना पड़ा। अगर भारत उन्हें लंबे समय तक अपने यहां रखता है तो इसे बांग्लादेशी लोगों का सीधा अपमान माना जा सकता है। इससे भारत के प्रति उनकी नाराजगी और बढ़ सकती है, इसलिए मौजूदा हालात और विदेश नीति को देखते हुए भारत ऐसा कभी नहीं चाहेगा।
विदेश मंत्री जयशंकर ने संसद को बताया कि बांग्लादेश में इस समय करीब 19000 भारतीय हैं, जो वहां नौकरी और कारोबार से जुड़े हैं। उनकी सुरक्षा भारत के लिए बहुत जरूरी है, इसलिए उसे इसका भी ख्याल रखना होगा। यह उसके लिए बड़ी प्राथमिकता है। साथ ही, बांग्लादेश में करीब 1.3 करोड़ हिंदू रहते हैं। मौजूदा तनाव के बीच बांग्लादेश में उनकी स्थिति बहुत अजीब हो गई है। उन पर हमले हो रहे हैं। मंदिरों को तोड़े जाने की भी खबरें आ रही हैं, ऐसे में शेख हसीना को लंबे समय तक रखने से हालात और खराब हो सकते हैं।
इस वजह से शेख हसीना भी भारत में नहीं रहना चाहेंगी। शायद उन्हें भारत की चिंताओं से अवगत करा दिया गया है। फिर वह भी अच्छी तरह समझती हैं कि भारत के लिए उन्हें लंबे समय तक रखना क्यों संभव नहीं होगा।
वैसे शेख हसीना खुद भी लंबे समय तक भारत में नहीं रहना चाहेंगी। उनके अगले कदमों में मुख्य रूप से ब्रिटेन में शरण लेना शामिल है। हालांकि लंदन में राजनीतिक शरण के लिए उनके आवेदन में शायद कुछ कठिनाइयां हों, लेकिन उनकी प्राथमिकता वहां जाना है। भारत में रहते हुए लंदन की उनकी यात्रा आसान होगी। भारत उन्हें वहां की यात्रा की तैयारी के लिए पूरी मदद कर रहा है। इसमें उनकी यात्रा व्यवस्था और सुरक्षा उपायों में सहायता शामिल है। संकेत हैं कि हसीना को इस मामले में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
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