India News (इंडिया न्यूज़), BRICS Nations, दिल्ली: ब्रिक्स अब पांच देशों का संगठन नहीं रहा। इसकी 15वीं बैठक में संगठन के विस्तार करने का फैसला हुआ और इसमें 6 और नए सदस्य जुडे। अब कुल इस संगठन मं 11 देश हो गए। जो छह देश अभी इसमें शामिल होंगे वह है अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात है।
दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने ब्रिक्स के विस्तार का ऐलान किया और सदस्यों का नाम बताया। रामाफोसा ने बताया कि 1 जनवरी 2024 से ये देश ब्रिक्स के नए सदस्य बन जाएंगे। पीएम मोदी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ब्रिक्स का विस्तार बताता है कि बदलती दुनिया के हिसाब से खुद को ढालने की जरूरत है. भारत ने हमेशा ब्रिक्स के विस्तार का समर्थन किया है. भारत का मानना है कि नए सदस्यों के जुड़ने से ब्रिक्स और मजबूत होगा और हमारे सभी के साझा प्रयासों को नई गति मिलेगी।
BRICS की साल 2006 में की गई थी तब इसका नाम BRIC था। 2009 को पहली बार इन देशों के शिखऱ स्म्मेलन हुआ। साल 2010 में ब्राजील में बैठक हुई तब यहां साउथ अफ्रीका भी इसका सदस्य बना। यहां से संगठन का नाम BRICS हुआ।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 40 से ज्यादा देशों बिक्स से जुड़ना चाहते है। बड़ी संख्या में देश इस संगठन को पश्चिमी देशों के प्रभुत्व वाले वैश्विक संगठनों के विकल्प के रूप में देखते हैं। देशों को लगता है की अगर वह ब्रिक्स में आ जाए तो उनकी Economy में सुधार होगा। कोविड भी इसकी बड़ी वजह है, जब विकसित देशों ने वैक्सीन जमा कर लिया तब भारत ने छोटे देशों को वैक्सीन दी। ब्रिक्स में आने वाले ज्यादतर देश वेस्ट विरोधी है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर कई प्रतिबंध लगाए गए जिसमें डॉलर में व्यापार भी था। कई देश डॉलर पर निर्भरता भी कम करना चाहते है।
अल्जीरिया और मिस्र दोनों ही अमेरिका के अच्छे दोस्त हैं और दोनों ब्रिक्स में जुड़ना चाहते हैं। मिस्र तो जुड़ भी गया है। लेकिन अमेरिका ऐसा नहीं चाहता। राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही साफ कर चुके हैं कि वो नहीं चाहते कि उनके दोस्त अन्य देशों के साथ रिश्ते बनाएं।
अभी ब्रिक्स में जो पांच देश शामिल हैं। इनकी दुनिया की जीडीपी में 31.5% की हिस्सेदारी है। यह दुनिया की 41 फीसदी से ज्यादा आबादी का प्रतिनिध्व करती है। वैश्विक कारोबार में भी इनका 16 फीसदी हिस्सा है। यह सभी देश G-20 का भी हिस्सा हैं। जानकारों के अनुसार, 2050 तक यह देश बड़ी इकोनॉमी होंगे।
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