India News (इंडिया न्यूज), US Election Result: दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों में से एक अमेरिका में 5 नवंबर 2024 को 47वें राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। इस बार मुकाबला डेमोक्रेट्स पार्टी की ओर से उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी की ओर से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच है। दोनों ने ही चुनाव में अपनी जीत का दावा मजबूत करने के लिए जोरदार प्रचार किया है। हालांकि, अब नतीजे ही बताएंगे कि जीत किसकी हुई है। अमेरिकी चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे आने वाले वैश्विक बदलाव का अग्रदूत माना जा रहा है।

अगर अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया की बात करें तो यह काफी अलग है। यहां इलेक्टोरल कॉलेज में हर राज्य के प्रतिनिधियों का एक समूह होता है, जो अपनी पार्टी के आधार पर राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। इसका मतलब यह है कि अमेरिका के हर राज्य में रहने वाले लोग 5 नवंबर को अपने स्थानीय उम्मीदवार को वोट देंगे और उनकी जीत देश में अगले राष्ट्रपति के चुनाव के लिए अहम हो जाएगी। आसान शब्दों में कहें तो राज्य से जीतने वाला उम्मीदवार ही राष्ट्रपति चुनाव में अंतिम फैसला लेने का हकदार होता है।

इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम का इस्तेमाल

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता है, जो हर राज्य को एक निश्चित संख्या में इलेक्टोरल वोट प्रदान करता है। इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की कुल संख्या 538 है। देश के हर राज्य को अमेरिकी सीनेट में दो सीटें मिलती हैं, इसलिए हर राज्य को दो इलेक्टोरल वोट मिलते हैं। वहीं, हर राज्य को उसकी आबादी के हिसाब से अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में प्रतिनिधि मिलते हैं। इसका मतलब यह है कि अगर आबादी ज़्यादा है, तो राज्य को ज़्यादा प्रतिनिधि और इलेक्टोरल वोट मिलते हैं।

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चुनाव का फॉर्मूला इस प्रकार है

प्रत्येक राज्य के इलेक्टोरल वोट = 2 (सीनेट प्रतिनिधित्व) + राज्य के प्रतिनिधि सभा में प्रतिनिधियों की संख्या। इस प्रकार, 50 राज्यों और वाशिंगटन डी.सी. (जिसे 3 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं) में कुल 538 इलेक्टोरल वोट हैं। देश का राष्ट्रपति बनने के लिए, किसी उम्मीदवार को 538 इलेक्टोरल वोटों में से कम से कम 270 वोट चाहिए, जिसे पूर्ण बहुमत माना जाता है। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि राष्ट्रपति का चुनाव राज्यों के संतुलित प्रतिनिधित्व के आधार पर हो, न कि केवल जनसंख्या के आधार पर। इस तरह, छोटे राज्यों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।

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