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मुस्लिम देश के सुप्रीम लीडर को ‘फूल जैसी नाजुक’ लगीं महिलाएं, अचानक कह डाली ऐसी बात चौंक गए दुनिया भर के मुसलमान

India News (इंडिया न्यूज),Iran:दुनिया में कई ऐसे देश हैं जहां महिलाएं अभी भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। उन्ही में से एक देश इरान हैं। जहां महिलाएं आए दिन अपने अधिकारों के लिए सड़क पर उतर कर प्रर्दशन करती हैं। लेकिन वहां के सर्वोच्च नेता  ने इसके ठिक उलट  बोल रहे हैं। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने बुधवार को एक पोस्ट में कहा, ‘महिला एक नाजुक फूल है, नौकरानी नहीं।’  आपको बता दें अयातुल्ला अली खामेनेई अपने कार्यो के ठिक उलट बात कर रहे हैं। इस समय ईरान की कई महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। 22 वर्षीय महसा अमीनी को कोई कैसे भूल सकता है, जो खामेनेई के तानाशाही शासन और हिजाब कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतरी थीं और पुलिस ने उन्हें मार डाला था।

अयातुल्ला अली खामेनेई ने क्या कहा ?

खामेनेई ने कहा, ‘महिला एक नाजुक फूल है और वह नौकरानी नहीं है। महिला की देखभाल घर के फूल की तरह होनी चाहिए। फूल को देखभाल की जरूरत होती है। उसकी ताजगी और मीठी खुशबू का इस्तेमाल हवा में खुशबू फैलाने के लिए किया जाना चाहिए।’उन्होंने ट्वीट में कहा, “महिलाओं और पुरुषों की पारिवारिक भूमिकाएं अलग-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए, पुरुष परिवार के खर्चों के लिए जिम्मेदार होते हैं, जबकि महिलाएं बच्चे पैदा करने की जिम्मेदारी लेती हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि एक दूसरे से बेहतर है। ये अलग-अलग गुण हैं, और पुरुषों और महिलाओं के अधिकार इन पर आधारित नहीं हैं।”

क्या है इरान का सच ?

आपको बता दें कि इरान में महिलाओं के हालात देखे तो वो खामेनेई के शब्दों से बिलकुल अलग हैं। सच्चाई यह है कि खामेनेई का शासन महिलाओं पर निर्मम तरीके से नकेल कस रहा है।1979 की ईरानी क्रांति के बाद, ईरान की नई सरकार ने इस्लामी कानून, शरिया को लागू किया, जिसने महिलाओं के अधिकारों को गंभीर रूप से सीमित कर दिया। हिजाब अनिवार्य हो गया। यह महिलाओं के जीवन पर प्रतिबंधों की शुरुआत थी, जो दशकों तक जारी रही।

जब महिलाएं इन प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध करने के लिए सड़कों पर उतरती हैं, तो उन्हें परेशान किया जाता है। अमिनी की मौत के दो साल बाद, ईरानी अधिकारियों ने महिलाओं की आवाज़ को दबाने के अपने प्रयासों को तेज़ कर दिया है। खामेनेई के निर्देश पर, पुलिस ने ‘नूर’ नामक एक नया अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य अनिवार्य हिजाब को फिर से सख्ती से लागू करना है।

पुलिस, ट्रैफ़िक पुलिस और अन्य राज्य संस्थाएँ महिलाओं को निशाना बना रही हैं। हिजाब कानून का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को कई तरह की दंडात्मक कार्रवाइयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें अवैध गिरफ्तारी, बैंक खाता जब्ती, कार जब्ती और यहां तक ​​कि विश्वविद्यालय से निष्कासन भी शामिल है। हाल ही में, ईरानी अधिकारियों ने 27 वर्षीय गायिका पारस्तु अहमदी को गिरफ्तार किया, जिन्होंने YouTube पर एक वर्चुअल कॉन्सर्ट पोस्ट किया था जिसमें उन्होंने बिना हिजाब के प्रदर्शन किया था। ईरानी पुलिस ने 31 वर्षीय अरेज़ू बदरी को भी गोली मार दी, जब वह कार चला रही थी।

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Divyanshi Singh

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