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नवंबर तक आठ अरब हो जाएगी दुनिया की जनसंख्या, अगली पीढ़ी के लिए चिंता का विषय

Vir Singh • LAST UPDATED : July 12, 2022, 1:17 pm IST

इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
वैश्विक संगठन संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने आने वाले समय में जो दुनिया में जनसंख्या को लेकर रिपोर्ट जारी की है, वह चिंताजनक है। यूएन द्वारा विश्व जनसंख्या संभावना-2022 की रिपोर्ट जारी की गई है। इसे देखकर साफ है कि बढ़ती जनसंख्या दुनिया भर में अगली पीढ़ी के लिए मुसीबत बन सकती है। यूएन की रिपोर्ट के अनुसार आगामी नवंबर में दुनिया की जनसंख्या आठ अरब तक पहुंच जाएगी। बता दें कि सीमित साधनों से भी इतनी बड़ी जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करना संभव नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2100 तक विश्व की आबादी दस अरब से ज्यादा हो जाएगी। लिहाजा इस वजह से कई संकट पैदा होंगे।

खाद्यान्न की कमी बन सकती है बड़ी समस्या

यूएन की जनसंख्या वृद्धि की संभावना से साफ है कि आने वाले दशकों में खाद्यान्न की कमी एक बड़ी समस्या बन सकती है। दुनिया के लिए इतनी बड़ी आबादी को दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराना सबसे बड़ी चुनौती होगी। रिपोर्ट के अनुसार सर्तमान में भी दुनिया की जनसंख्या का लगभग आठ फीसदी हिस्सा दो वक्त के भोजन के लिए भी तरसता है। आठ फीसदी कोई कम आंकड़ा नहीं है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (डब्ल्यूएफपी) के आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया में लगभग 61 करोड़ लोग भूखे पेट सोते हैं। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि डब्ल्यूएफपी के तहत प्रतिदिन ऐसे देशों के लिए 100 विमान, 30 जहाज और 5600 ट्रक खाद्य सामग्री के साथ रवाना करता है।

80 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुके हैं भूखमरी के शिकार लोग

यूएन फूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रिशन रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष विश्व स्तर पर भूखमरी के शिकार लोगों की संख्या 80 करोड़ के आंकड़े को पार कर चुकी है। वर्ष 2020 के बाद दुनिया में साढ़े चार करोड़ से ज्यादा लोग भूखमरी के शिकार लोगों की संख्या में जुड़े हैं। यह आंकड़ा अपने आप में चौकाने वाला हो सकता है, पर मौजूद समय की सच्चाई यही है। दुनिया में जनसंख्या बढ़ने के कारण यह समस्या और अधिक विकराल हो जाएगी।

दो अरब लोगों को नहीं मिलता पर्याप्त पानी, जनसंख्या बढ़ने से और विकाराल होगी स्थिति

वर्तमान में दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या पीने के पानी की कमी से जूझ रही है। दुनिया के लगभग दो अरब लोग ऐसे देशों में शामिल हैं, जहां पर जरूरत के हिसाब से पानी नसीब नहीं है। यूनिसेफ के अनुसार वर्ष 2025 से पहले ही दुनिया की आधी जनसंख्या पानी की कमी से जूझ रही होगी। 2030 तक लगभग 70 करोड़ लोग इस समस्या के कारण अपनी जमीन से दूर हो जाएंगे। वहीं आने वाले दो दशक में विश्व में चार में से एक बच्चा पानी के गंभीर संकट से जूझने को मजबूर होगा। इस तरह बढ़ती जनसंख्या का बोझ जमीन के पानी की क्षमता पर भी पड़ना लाजमी है।

स्वास्थ्य सुविधाएं भी इतनी बड़ी जनसंख्या के लिए नाकाफी होंगी

यूएन की रिपोर्ट पर अगर गौर करें तो कहा जा सकता है कि दुनिया में स्वास्थ्य सुविधाएं भी इतनी बड़ी जनसंख्या को को सुरक्षा देने में पर्याप्त नहीं होंगी। कोरोना का ताजा उदाहरण सबके सामने है। मौजूदा समय में कई देशों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं की बड़े पैमाने पर कमी है। स्वयं विश्व स्वास्थ्य संगठन इस बात का कई अपनी रिपोर्ट में जिक्र कर चुका है। जहां हर साल लाखों बच्चे स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण दम तोड़ देते हों और जहां बेहद सुविधा, पानी व भोजन न मिलने से लाखों गर्भवती महिलाएं कुपोषित बच्चों को जन्म देती हों, वहां पर इतनी बड़ी जनसंख्या (आठ अरब) की कल्पना करना भी डराने वाला है।

रोजगार कम होंगे, पहले ही कोरोना ने किया है बेरोजगार, कृषि योग्य भूमि की भी कमी होगी

आबादी बढ़ने के कारण रोजगार की भी कमी होगी। कोरोना ने पहले ही दुनिया में करोड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया है। ऐसे जब दुनिया की जनसंख्या 10 अरब के पास होगी तो दुनिया में रोजगार भी बेहद कम जाएंगे। इसका नतीजा यह होगीा कि ज्यादातर लोग गरीबी की चपेट में आ जाएंगे। इसी तरह बढ़ती आबादी के कारण विश्व में कृषि योग्य भूमि की भी कमी हो जाएगी। नतीजा कम पैदावार होगी और दुनिया में खाद्यान्न की कमी हो जाएगी। भारत में करीब 50 फीसदी वर्क फोर्स कृषि से जुड़ा है।

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