इंडिया न्यूज (India News) नई दिल्ली: वो छात्र जिनका लाख कोशिशों के बाद भी इस वर्ष नीट यूजी क्वालीफाई कर डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया है. उन्हें ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं है. ऐसे में आपको हम एक बेहतरीन करियर ऑप्शन के बारे में बताने जा रहे हैं.
अधिकतर युवाओं को ऐसा लगता है कि उन्होंने फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायो से 12 वीं पास किया है तो वह केवल एक डॉक्टर ही बन सकते हैं. लेकिन अब ऐसा नहीं हैं ऐसे छात्रों के सामने पैरामेडिकल का एक अच्छा विकल्प मौजूद है.
कई बार ऐसा होता है कि स्टूडेंट्स अच्छे करियर के लिए प्राइवेट संस्थानों का रास्ता अपनाते हैं. वह संस्थान उनसे नौकरी की लालच देकर उनसे मोटी फीस भी वसूलते हैं. बहुत से स्टूडेंट्स ऐसे संस्थानों से डिग्री तो प्राप्त कर लेते हैं लेकिन वहां उन्हे पढ़ने में मजा नहीं आता है. ऐसे में पैरामेडिकल के कोर्स एक अच्छा करियर ऑप्शन साबित हो सकता है. पैरामेडिकल कोर्स में स्टूडेंट्स मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी, डायलिसिस टेक्नोलॉजी, एनेस्थीसिया टेक्नोलॉजी, ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजी आदि शामिल हैं.
जानकारी के लिए आपको बता दें कि यह कोर्स इन दिनों काफी डिमांड में हैं. यह को दो साल का होता है. अगर आपको यह कोर्स करना है तो इसके लिए करीब एक लाख रुपये खर्च करना होगा. नौकरी की बात करें तो इस कोर्स को खत्म करने के बाद शुरुआत में 15-20 हजार रुपये महीने तक की जॉब मिलती है. इसके बाद आप की सैलरी आपके अनुभव और काम के अनुसार हो जाता है.
इस कोर्स के लिए आपको अपना दो साल लगाना होगा. वहीं इसकी फीस करीब लाख रुपये है. डायग्नोसिस यानी रेडियोलॉजी से जुड़े इस कोर्स में एक्स-रे, सीटी स्कैन आदि की जानकारी दी जाती है. कोर्स के बाद सालाना 2.5 से 5 लाख रुपये का पैकेज मिलता है.
इस कोर्स को करने के लिए 75,000 से एक लाख रुपये तक का खर्च आता है. यह क्लीनिकल लैब टेस्टिंग से जुड़ा कोर्स है. इसमें बीमारियों की पहचान के लिए लैब टेस्टिंग की शिक्षा दी जाती है.
आज हर दूसरा व्यक्ति किडनी की समस्या से जूझ रहा है. बढ़ती इस बीमारी के कारण ही डायलिसिस टेक्नीशियन की मांग तेजी से बढ़ी है. यह दो साल का डिप्लोमा कोर्स है. इसे पूरा करने के बाद 3 लाख रुपये सालाना आय़ की जॉब मिलती है.
आपने सुना होगा, कई बार सर्जरी के लिए मरीजों बेहोश किया जाता है ताकि उन्हें दर्द ना हो. अस्पतालों में जो व्यक्ति यह कार्य करता है उन्हे ‘एनेस्थेटिक’ कहा जाता है. यही तय करते हैं कि मरीज को कितनी मात्रा में एनेस्थीसिया की डोज दी जाय. एनेस्थेटिक टेक्नीशियन की डिमांड हर अस्पतालों में अधिक होती है. दो साल के कोर्स के बाद अच्छी सैलरी पैकेज पर जॉब आसानी से मिलती है. एनेस्थीसिया का यह कोर्स एक दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स होता है
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