इंडिया न्यूज़ (दिल्ली): सुप्रीम कोर्ट ने तलाक ए हसन पर सुनवाई की तारीख 22 जुलाई को तय की है,मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत प्रचलित तलाक ए हसन में कोई आदमी किसी महिला को एक महीने में एक बार लगातार तीन महीने बोल कर तलाक देता है.
वकील पिंकी आनंद ने मुख्यन्यायादीश एनवी रमना,न्यायमूर्ति कृष्णा मुरारी और हिमा कोहली की बेंच के सामने इस मामले को उल्लेखित करते हुए इस पर सुनवाई की मांग की गई थी,वरिष्ठ अधिवक्ता ने बताया ने की याचिकाकर्ता को तलाक के 3 नोटिस मिले थे जो अब अपरिवर्तनीय हो गए हैं,इस पर मुख्यन्यायादीश ने कहा की ठीक है चार दिन के बाद हम इसपर सुनवाई करेंगे.
पत्रकार बेनज़ीर हीना ने एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड अश्वनी कुमार दुबे के माध्यम से जनहित याचिका दायर की थी, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसके पति ने उसे 19 अप्रैल को स्पीड पोस्ट के जरिए तलाक की पहली किस्त भेजी है,याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उसे बाद के महीनों में दूसरा और तीसरा नोटिस मिला.
याचिकाकर्ता का तर्क है कि यह प्रथा भेदभावपूर्ण है क्योंकि केवल पुरुष ही इसका प्रयोग कर सकते हैं और वह चाहते हैं की यह घोषित किया जाए की यह प्रथा असंवैधानिक है संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करता है,याचिकाकर्ता के अनुसार यह इस्लामी आस्था का एक अनिवार्य अभ्यास नहीं है.
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