आपने स्कूलों में गणित के किताबों में पाई जरुर पढ़ा और सुना होगा लेकिन क्या आपको यह पता है कि, गणित के इस टर्म को एक खास दिन के रूप में मनाया जाता है। जी हां हर साल 14 मार्च को दोपहर 1:59 बजे पाई दिवस मनाया जाता है। अब आपके मन में यह भी सवाल जरुर उठ रहा होगा कि आखिर 14 मार्च को एक निश्चित समय पर ही पाई दिवस क्यों मनाया जाता है? दरअसल इसके पिछे एक मैथमैटिकल लॉजिक छिपा हुआ है। तो आइए जानते है इसके पिछे का छुपा हुआ इतिहास क्या है।
दरअसल मार्च के महिने में ही पाई दिवस मनाने के पिछे की वजह काफी रोमांचक है, आपको बता दें कि पाई की ही देन है कि हम आज यह जान पाए हैं कि हमारी धरती गोल है। जब तारीख और महीने/दिन को इस प्रारूप में लिखा जाता है तो यह पाई के मान के पहले तीन अंकों 3.14 से मेल खाता है। यह हर साल 14 मार्च 1:59:26 बजे विश्व पाई दिवस के रुप में मनाया जाता है। क्योंकि इस वक्त दिन और समय का मान भी 3.1415926 ही होता है और इस दिन पाई का मान सात अंकों तक शुद्ध पाया जाता है।
सन् 1706 में पाई चिन्ह को एक मैथमेटिशियन विलियम जोन्स द्वारा सबसे पहले लाया गया था। लेकिन गणित का यह चिन्ह 1737 में सबसे ज्यादा लोकप्रिय हुआ और इसको लोकप्रिय बनाने में सबसे ज्यादा सहयोग लियोनहार्ड यूलर का था। लेकिन इसके शुरुआत की बात करे तो सन् 1988 में सैन फ्रांसिस्को के एक कर्मचारी द्वारा इसकी शुरुआत हुई। लैरी शॉ नाम का यह कर्मचारी जिसे प्यार से प्रिंस ऑफ पाई के नाम से भी जाना जाता था।
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