India News,(इंडिया न्यूज),Employment in India: भारत में रोजगार की कमी एक बड़ी समस्या है, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर लगातार पड़ता रहता है। दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक होने के नाते, बेरोजगारी दर में उतार-चढ़ाव का देश के विकास पर भारी प्रभाव पड़ता है। बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि पांच साल में बेरोजगारी कम हुई है और अब सिर्फ 3.2 फीसदी लोग बेरोजगार हैं.
निर्मला सीतारमण ने क्या कहा?
उन्होंने आंकड़े दिखाते हुए कहा कि 2017-18 में जो लोग बेरोजगार थे, उनमें से कई लोगों को 2022-23 में काम मिल गया है। सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार के काम की वजह से अनाज और अन्य जरूरी वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आई है।
उन्होंने यह भी कहा कि 2017-18 में काम करने वालों की संख्या 49 फीसदी थी, लेकिन 2022-23 में यह बढ़कर 57 फीसदी हो गई है। यानी श्रम शक्ति में बढ़ोतरी हुई है। सीतारमण ने यह भी कहा कि ईपीएफओ में 18 से 25 साल के लोगों की संख्या बढ़ी है और इनमें से 55 फीसदी लोग पहली बार ईपीएफओ से जुड़े हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को ज्यादा काम भी मिला है और ई-श्रम पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले 29 करोड़ लोगों में से 53 फीसदी महिलाएं हैं।
सरकारी आंकड़े बताते हैं:
- जुलाई 2022-जून 2023: राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 3.2% थी, जो छह साल का निचला स्तर है।
- पुरुषों में: बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1% से घटकर 2022-23 में 3.3% हो गई।
- महिलाओं में: बेरोजगारी दर 2017-18 में 5.6% से घटकर 2022-23 में 2.9% हो गई।
शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी
- राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की बेरोजगारी दर जनवरी-मार्च 2023 में घटकर 6.8 प्रतिशत हो गई है, जो एक साल पहले 8.2 प्रतिशत थी। यह सकारात्मक बदलाव दर्शाता है कि मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के बीच भी जॉब मार्केट में सुधार की संभावना है।
- ब्लूमबर्ग की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, जो जुलाई 2023 के आंकड़ों का हवाला देती है, भारत में बेरोजगारी दर 7.95% है। ये आंकड़े सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) से लिए गए हैं।
- शहरों में स्थिति थोड़ी बेहतर हुई है। 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों की बेरोजगारी दर पिछले वर्ष की तुलना में 1% कम हो गई है। अप्रैल-जून 2023 में यह दर 6.6% थी, जबकि पहले यह 7.6% थी।
बढ़ती हुई चिंताएं:
- श्रम बल भागीदारी दर: यह 2017-18 में 61.1% से घटकर 2022-23 में 57.4% हो गई है।
- असंगठित क्षेत्र: 80% से अधिक कार्यबल असंगठित क्षेत्र में कार्यरत है, जो अस्थिर और कम वेतन वाला है।
- युवाओं में बेरोजगारी: 24 वर्ष से कम आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 16.4% है, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है।
- शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी: शिक्षित युवाओं में भी बेरोजगारी बढ़ रही है।
हाल के मौसम के कारण आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आया है। बारिश के कारण आधे से ज्यादा खेत प्रभावित हुए हैं, लेकिन उम्मीद है कि फसल उत्पादन बढ़ेगा। इससे अर्थव्यवस्था को फायदा होगा और कृषि क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं।
अपना खुद का व्यवसाय करना चाहते हैं लोग
दूसरी ओर, मुद्रा ऋण का वितरण, स्टार्टअप पंजीकरण और कर रिटर्न में वृद्धि से संकेत मिलता है कि लोग अब व्यवसायी बनना पसंद कर रहे हैं। पिछले साल की तुलना में अब 57.3% लोग अपना काम खुद कर रहे हैं, जिसमें खेती, छोटे व्यवसाय या घरेलू काम शामिल हैं।
कितनी चुनौतियाँ:
- आर्थिक विकास की धीमी गति: भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिसके कारण नई नौकरियों का सृजन कम हो रहा है।
- तकनीकी परिवर्तन: स्वचालन, एआई और अन्य तकनीकी परिवर्तनों के कारण कई पारंपरिक नौकरियां गायब हो रही हैं।
- कौशल की कमी: कई युवाओं के पास आवश्यक कौशल नहीं होता है, जिसके कारण उन्हें नौकरी ढूंढने में कठिनाई होती है।
- जनसंख्या वृद्धि: भारत की जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, जिसके कारण बेरोजगारी का दबाव बढ़ रहा है।
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