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आज से लेकर 14 जून तक रहेगा ज्येष्ठ माह, जानिए कौन-कौन से पड़ेंगे प्रमुख त्योहार

India News Desk • LAST UPDATED : May 17, 2022, 12:27 pm IST

इंडिया न्यूज:
हिंदू पंचांग के अनुसार आज मंगलवार 17 मई से ज्येष्ठ माह शुरू हो चुका है, जोकि 14 जून 2022 तक रहेगा। इस महीने गर्मी का मौसम अपने चरम पर रहता है। शास्त्रों अनुसार जेठ मास में पानी का महत्व बढ़ जाने के कारण जल दान को खास माना जाता है। इसके अलावा ऋषियों ने पर्यावरण का ध्यान रखते हुए व्रत और त्योहार बताए हैं। इनमें पेड़-पौधों की पूजा की जाती है। तो चालिए जानते हैं इस माह कौन से प्रमुख व्रत एवं त्योहार पड़ रहे हैं।

संकष्टी चतुर्थी: ज्येष्ठ माह (जेठ) के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा और व्रत का महत्व माना जाता है। ये व्रत 19 मई को किया जाएगा। कहते हैं संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से मनुष्य की जीवन में हर तरह की समस्याएं दूर होती हैं।

अपरा एकादशी: ज्येष्ठ माह के कृष्णपक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी या अचला एकादशी कहा जाता है। अपरा एकादशी के दिन तुलसी, चंदन, कपूर, गंगाजल सहित भगवान विष्णु की पूजा करना की मान्यता है। कहीं-कहीं बलराम-कृष्ण की भी पूजन करते हैं। इस व्रत के करने से ब्रह्महत्या, परनिन्दा, भूतयोनि जैसे कर्मों से छुटकारा मिल जाता है। इसके प्रभाव से कीर्ति, पुण्य तथा धन की वृद्धि होती है।

रुद्र व्रत: यह व्रत ज्येष्ठ माह के दोनों पक्षों की अष्टमी और दोनों चतुर्दशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन गौ दान करने का महत्व है। संभव न हो तो गाय की पूजा करके उसे दिनभर का घास, चारा आौर खाने की चीजें दें। इस व्रत को एक साल तक एकभुक्त होकर करना चहिए। यानी सालभर तक हर महीने की अष्टमी और चतुर्दशी तिथि को किया जाता है। इस व्रत के आखिरी में सोने का बैल या गाय के वजन जितने तिल का दान करना चाहिए। इस व्रत को करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। चिन्ताओं से मुक्ति मिलती है और शिवलोक प्राप्त होता है।

शनि जयंती: ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती के रूप में मनाया जाता है। ग्रंथों अनुसार इस दिन शनि देव का जन्म हुआ था। शनि जयंती पर व्रत और शनि पूजा करने से कुंडली में शनि दोष खत्म होते हैं। इसके अलावा हर तरह की परेशानियां इस व्रत से दूर होती है। 30 मई को ये पर्व मनाया जाएगा।

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वट सावित्रि व्रत: ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि वट सावित्रि व्रत भी किया जाता है। इस व्रत पर बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा की जाती है। पूजा के बाद सत्यवान और सवित्रि की कथा सुनाई या सुनी जाती है। इस व्रत को करने से पति की उम्र बढ़ती है और परिवार में समृद्धि बढ़ती है। ये भी 30 मई को किया जाएगा।

रम्भा तृतीया: ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की तृतीया पर रम्भातृतीया व्रत होता है। इस दिन देवी पार्वती की पूजा की जाती है। ये व्रत एक साल तक किया जा सकता है। रम्भा तृतीया व्रत खासतौर से महिलाओं के लिए ही होता है। इस व्रत को करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। रंभा ने इसे सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया था। इसलिए इसे रम्भा तृतीया कहा गया है। 2 जून को ये व्रत होगा।

गंगा दशहरा: गंगा दशहरा एक प्रमुख त्योहार है। ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की दशमी को ये व्रत किया जाता है। इस दिन गंगा स्नान और विशेष पूजा की जाती है। इसके साथ ही इस दिन दान का भी महत्व है। ऐसा करने वाला महापातकों के बराबर के दस पापों से छूट जाता है। 9 जून को ये व्रत होगा।

निर्जला एकादशी: हिन्दू कैलेंडर के ज्येष्ठ माह के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है। यह व्रत बिना पानी पीए किया जाता है। इसलिए यह व्रत कठिन तप और साधना के समान महत्त्व रखता है। इस व्रत को करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। निर्जला एकादशी का व्रत करने पर सालभर की सभी एकादशी का फल मिलता है। 10 जून को ये महाव्रत किया जाएगा।

ज्येष्ठ पूर्णिमा: इस महीने की पूर्णिमा का व्रत और दान करने से सौभाग्य प्राप्त होता है। इस पूर्णिमा पर व्रत करने से संतान सुख भी मिलता है। इस बार ये पर्व 14 जून को मनाया जाएगा। इसे वट पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन भी सत्यवान और सवित्रि की पूजा की जाती है और बरगद की पूजा की जाती है।

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