इंडिया न्यूज (What is FIR)
किसी भी आपराधिक घटना की कानूनी रूप से जांच के लिए एफआईआर दर्ज कराना सबसे पहला कदम होता है। एफआईआर दर्ज होने के बाद ही पुलिस मामले की जांच करती है। लेकिन कई लोगों को पता नहीं होता कि एफआईआर कैसे दर्ज करवानी है। इसके लिए थाने जाना जरूरी है या ऑनलाइन भी ये काम हो सकता है। तो चलिए काम की बात में आज जानेंगे एफआईआर क्या है। क्या ऑनलाइन भी दर्ज हो सकती है एफआईआर अन्य जानकारियां।
एफआईआर यानी फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट। दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 के सेक्शन 154 में एफआईआर का जिक्र है। क्राइम रिलेटेड घटना के संबंध में पुलिस के पास कार्रवाई के लिए दर्ज की गई पहली सूचना को प्राथमिकी या फर्स्ट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट यानी एफआईआर कहा जाता है। बता दें सीआरपीसी धारा 157(1) के मुताबिक पुलिस मामला दर्ज कर एफआईआर की रिपोर्ट जिले के या संबंधित मजिस्ट्रेट तक 24 घंटे के अंदर भेज देती है।
किसी भी वारदात या अपराध की जांच के मामले में एफआईआर सबसे जरूरी डॉक्युमेंट होता है। जिससे आगे की कानूनी प्रक्रिया इसी के आधार पर की जाती है। एफआईआर दर्ज करने के बाद ही पुलिस मामले की जांच शुरू करती है।
ऐसे में आप सीधे पुलिस सुपरिटेंडेंट या इससे ऊपर डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल आॅफ पुलिस और इंस्पेक्टर जनरल आॅफ पुलिस से शिकायत कर सकते हैं। आप इन अधिकारियों को अपनी शिकायत लिखित रूप में आॅफिस जाकर दें। चाहें तो इसे पोस्ट के जरिए भेज सकते हैं। वे अपने स्तर पर से इस मामले की जांच करेंगे या जांच का ऑर्डर भी देंगे।
जी हां, एक चिट्ठी लिखकर भी दर्ज करा सकते हैं। मेल और फेसबुक के जरिए भी एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। पुलिस ऐप का इस्तेमाल करके भी एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। पुलिस खुद की सूचना से एफआईआर दर्ज कर सकती है। कुछ मामलों में पुलिस आपके पास आकर भी रिपोर्ट दर्ज करती है। वहीं अगर एफआईआर दर्ज का मामला झूठा निकला तब आपके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 182 और 211 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
देश के हर इंसान को शिकायत के तौर पर एफआईआर दर्ज कराने का अधिकार है। अगर कहीं भी संज्ञेय अपराध हो रहा है तो ऐसे में रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद ही पुलिस छानबीन कर सकती है। बता दें संज्ञेय अपराध का जिक्र क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (सीआरपीसी 1973) की धारा 2 (सी) और 2 (एल) में है। धारा 2 (सी) कहती है कि ऐसा अपराध, जिसमें पुलिस किसी व्यक्ति को बिना किसी वारंट के अरेस्ट कर सकती है वह संज्ञेय अपराध है। वहीं पुलिस एफआईआर दर्ज करने के लिए कोई पैसे नहीं मांग सकती है, न ही एफआईआर की कॉपी देने के लिए कोई रकम ले सकती है।
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