मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद् (Marriage Muhurat in 2022):
हमारे यहां विवाह के मुहूर्तों कोे लेकर कई बार असमंजस और दुविधा की स्थिति बनी रहती है । इसके कई कारण हैं। विभिन्न राज्यों की परंपराएं, वहां के पंचांग और बहुत से ज्योतिषीय नियमों को देश, काल और बदलती हुई परिस्थितियों के अनुरुप न बदलना….. जैसे कई बिंदु हैं जिसके कारण असमंजस की हालत बनी रहती है ओैर मत मतांतर रहते हैं ।
आइये जाने कि किन दिनों मे शादियां नहीं की जाती।
1.श्राद्ध पक्ष जो इस वर्ष-10 सितंबर से 25 सितंबर तक हैं।
2.जन्म मास- बडे़ लड़के या बड़ी लड़की का विवाह उस महीने या नक्षत्र या जन्म तिथि या जन्म लग्न मेें न करना।
3.तारा डूबना- शुक्र ग्रह ,पहली अक्तूबर से 25 नवंबर तक अस्त रहेगा।
4.सूर्य ग्रहण- 25 अक्तूबर को भारत में दिखाई देगा।
5. कार्तिक मास- 17 अक्तूबर से 16 नवंबर के मध्य मांगलिक कार्य निषेध हैं।
6.सगे भाई बहनों या सगे दो भाईयों के विवाह में 6 महीने का अंतर रखा जाता है।
7.मृत्यु- यदि किसी महीने में किसी प्रिय जन की मृत्यु हो गई हो।
इस श्रृंखला मेें सबसे पहले बात करते हैं चतुर्मास की जिसमें मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं। आज के युग मेें आप चार महीने विवाह, शादियों के समय जिसके साथ असंख्य लोगों के व्यवसाय जुड़े होते हैं, कैसेे हाथ पर हाथ रखे बैठ सकते हैं? वास्तव में पौराणिक काल में चौमासे के मौसम में अधिक वर्षा, बाढ़ आदि के कारण रास्ते बंद हो जातेे थे, कीट पतंगे, झाड़ियां आदि मार्ग अवरुद्ध कर देते थे।
इसी कारण, साधु संत आदि यात्राएं बंद कर देते थेे और इन चार महीनों मेें एक स्थान पर बैठ कर पूजा पाठ, धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन में समय व्यतीत करते थे। चूंकि विवाह तथा अन्य मांगलिक कार्यों मेें आवागमन जरुरी था और प्रतिकूल मौसम होने के कारण इन महीनों में ऐसे कार्य बंद कर दिए जातेे थे। परंतु आज के युग में अच्छे संचार, परिवहन ,बारात ठहराने, विवाह करने, समागमों के आयोजन के लिए असंख्य साधन मौजूद हैं तो चतुर्मास में विवाह न किया जाए इसका कोई तर्क नहीं बनता।
दूसरे जिस मास मेें लड़के,लड़की का जन्म हुआ हो या माता पिता की शादी हुई हो उस महीने में विवाह नहीं करते। इस प्रकार 12 महीनों में 4 महीने तोे ये गए। कभी गुरु अस्त होगा कभी शुक्र, श्राद्ध हर साल होंगे,पौष केे महीने 15 दिसंबर से 13 जनवरी तक भी विवाह वर्जित हैं, होलाष्टक मेें विवाह नहीं होते, तोे आपके पास 12 महीनों में बहुत सीमित महीने ही विवाह के रह जाते हैं। कई बार विदेश में रह रहे भारतीयों को अवकाश नहीं मिल पाता या फलाईट नहीं मिल पाती।
हमारे अपने खानदान में 35 विवाह, फरवरी के महीने में ही हुए हैं जिसमें माता पिता के विवाह, बच्चों केे जन्म भी फरवरी मास में ही हुए हैं। अतः मुहूर्त में हम उपरोक्त दो नियमों को वर्तमान समय के अनुसार नकार सकते हैं। अधिकांश लोग पौष मास में विवाह करना शुभ नहीं मानते।
ऐसा भी हो सकता है कि दिसंबर मध्य से लेकर जनवरी मध्य तक उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है, धुंध के कारण आवागमन भी बाधित रहता है, और खुले आकाश के नीचे विवाह की कुछ रस्में निभाना, प्रतिकूल मौसम के कारण संभव नहीं होता, इसलिए 16 दिसंबर की पौष संक्रांति से लेकर 14 जनवरी की मकर संक्राति तक विवाह न किए जाने के निर्णय को ज्योतिष से जोड़ दिया गया हो।
कुछ समुदायों में ऐसे मुहूर्तो को दरकिनार रख कर रविवार को मध्यान्ह में लावां फेरे या पाणिग्रहण संस्कार करा दिया जाता है। इसके पीछे भी ज्योतिषीय कारण पार्श्व में छिपा होता है। हमारे सौर्यमंडल में सूर्य सबसे बड़ा ग्रह है जो पूरी पृथ्वी को उर्जा प्रदान करता है। यह दिन और दिनों की अपेक्षा अधिक शुभ माना गया है। इसके अलावा हर दिन ठीक 12 बजे, अभिजित मुहूर्त चल रहा होता है।
भगवान राम का जन्म भी इसी मुहूर्त काल में हुआ था। जैसा इस मुहूर्त के नाम से ही सपष्ट है कि जिसे जीता न जा सके अर्थात ऐसे समय में हम जो कार्य आरंभ करते हैं , उसमें विजय प्राप्ति होती है, ऐसे में, पाणिग्रहण संस्कार में शुभता रहती है। अंग्रेज भी सन डे , रविवार को सैबथ डे अर्थात पवित्र दिन मान कर चर्च में शादियां करते हैं। कुछ लोगों को भ्रांति है कि रविवार को अवकाश होता है, इसलिए विवाह इतवार को रखे जाते हैं। ऐसा नहीं है।
भारत में ही छावनियों तथा कई नगरों में रविवार की बजाय , सोमवार को छुट्टी होती है और कई स्थानों पर गुरु या शुक्रवार को। पंजाब केे एक पचांगानुसार इस साल केवल अक्तूबर व नवंबर मेें शकुु्रास्त होने के कारण विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं अन्यथा 14 दिसंबर तक काफी मुहूर्त उपलब्ध हैं।
जुलाई- 3 से 9, 14,18,19,20,21,23,24,25,30,31
अगस्त-1से 5,9,10,11,14,15,19,20,21,28 से 31.
सितंबर-1,4,5 से 8,26,27
अक्तूबर से नवंबर- कोई नहीं
दिसंबर-2,4,7,8,9,14
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