इंडिया न्यूज, नई दिल्ली :
मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जिसे भूमिहीन, शिक्षित, अशिक्षित, युवक व युवतियां सभी रोजगार के रूप में अपना सकते हैं। केंद्र सरकार भी किसानों व बेरोजगार युवक-युवतियों को मशरूम प्रोडक्शन को एग्रीकल्चर रिफॉर्म के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। यह बात हरियाणा के हिसार स्थित साइना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान के सह निदेशक डॉ. अशोक कुमार गोदारा ने कृषि को लेकर किसानों के साथ एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि मशरूम की अलग-अलग प्रजातियों को उगाकर साल भर उनसे व्यापार किया जा सकता है। अक्टूबर से फरवरी तक सफेद बटन मशरूम, मार्च से अप्रैल तक ढींगरी, जुलाई से अक्टूबर तक दूधिया या धान के पुवाल की मशरूम से बिजनेस कर सकते हैं। यह आत्मनिर्भर होने की दिशा में सराहनीय कदम साबित होगा।
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया है कि सफेद बटन खुम्ब की खेती फायदेमंद साबित हो सकती है। इसकी फसल 3-4 महीनों में समाप्त हो जाती है, फिर फार्म को बंद कर दिया जाता है. ढींगरी व दूधिया मशरूम को लगाने का तरीका सरल है।
सफेद बटन मशरूम से उत्पादन ज्यादा होने के साथ इनमें स्वाद, पोषण और कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। ढींगरी व दूधिया मशरूम में भी पोटीन, विटामिन, खनिज, लवण, अमीनो एसिड आदि तत्व अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इन खुम्बों में भी कई तरह के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। ये रक्तचाप, शुगर, कैंसर, दिल के रोगों से भी शरीर की रक्षा करने में मददगार साबित होते हैं।
विशेषज्ञों ने बताया कि मशरूम का बिजनेस एक कमरे या शेड से शुरू करना बेहतर रहता है। इसे धीरे-धीरे ही आगे बढ़ाना चाहिए, साथ ही उगाने से पहले बीज खरीदी के समय उनकी अच्छे से जांच होनी चाहिए। इनमें किसी भी तरह का दूसरा बैक्टीरिया नहीं होना चाहिए, साथ ही ज्यादा पुराने बीजों को भी नहीं लेना चाहिए।
(Mushroom Business)
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