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Raksha Bandhan 2022 Date : रक्षाबंधन 11 को मनाएं या 12 अगस्त को, जानिए क्या है भद्रा काल और क्या कहती है ज्योतिष गणित और पंडितों की राय

Neha Goyal • LAST UPDATED : August 9, 2022, 1:38 pm IST

इंडिया न्यूज़, Raksha Bandhan 2022 Date : रक्षाबंधन का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और यह बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह सबसे बड़े त्योहारों में से एक होता है। रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि को ही मनाया जाता है। रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है ।

इस पर्व पर बहनें अपने भाई के माथे पर टीका लगाती हैं और आरती उतारते हुए कलाई पर राखी बांधती हैं। राखी बांधते समय बहनें भगवान से भाईयों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस दिन बहनें बहुत खुश होती है। बहनों से राखी बंधवाने के बदले में भाई उसे तोहफे देते हैं और जीवन भर रक्षा का वादा करते है। इस बार रक्षाबंधन का पावन त्योहार 11 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा।

  • रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया

वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार 11 अगस्त के दिन शाम के 5 बजकर 17 मिनट पर भद्रा पुंछ शुरू हो जाएगा जो शाम के 6 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगा। फिर 6 बजकर 18 मिनट से भद्रा मुख शुरू हो जाएगा जो रात्रि के 8 बजे तक रहेगा। भद्राकाल के खत्म होने पर राखी बांधी जा सकती है। अगर आपको भद्रा काल में राखी बांधनी बहुत जरूरी हो तो इस दिन प्रदोषकाल में शुभ,लाभ,अमृत में से कोई एक चौघड़िया देखकर राखी बांधी जा सकती है।

  • रक्षाबंधन 2022 भद्रा काल का समय

रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल की समाप्ति- रात 08 बजकर 51 मिनट पर रक्षाबंधन के दिन भद्रा पूंछ- 11 अगस्त को शाम 05 बजकर 17 मिनट से 06 बजकर 18 मिनट तकरक्षाबंधन भद्रा मुख – शाम 06 बजकर 18 मिनट से लेकर रात 8 बजे तक।

  • रक्षाबंधन तिथि- 11 अगस्त 2022, गुरुवार (Raksha Bandhan 2022 Date & Time)

पूर्णिमा तिथि आरंभ- 11 अगस्त, सुबह 10 बजकर 38 मिनट से
पूर्णिमा तिथि की समाप्ति- 12 अगस्त. सुबह 7 बजकर 5 मिनट पर
शुभ मुहूर्त- 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 14 मिनट
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 6 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
अमृत काल- शाम 6 बजकर 55 मिनट से रात 8 बजकर 20 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 17 मिनट तक

  • भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ क्यों माना जाता है

भद्राकाल का समय अशुभ होता है। भद्रा शनिदेव की बहन हैं। ऐसी मान्यता है जब माता छाया के गर्भ से भद्रा का जन्म हुआ और सब कुछ तहस-नहस हो गया था। सृष्टि में जहां पर भी किसी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य संपन्न होता भद्रा वहां पर पहुंच कर सब कुछ नष्ट कर देती। इस कारण से भद्रा काल को अशुभ माना गया है। ऐसे में भद्रा काल होने पर राखी नहीं बांधनी चाहिए।रावण की बहन ने भद्राकाल में राखी बांधी जिस कारण से रावण के साम्राज्य का विनाश हो गया है। इस कारण से जब भी रक्षा बंधन के समय भद्राकाल होती है उस दौरान राखी बांधना सही नहीं होती है। यह समय अशुभ मन जाता है।

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