Sunscreen: ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि सनस्क्रीन के इस्तेमाल सिर्फ धूप से प्रोटेक्शन के मकसद से ही किया जाना चाहिए।जबकि ऐसा नहीं है आपको इसका इस्तेमाल सिर्फ सूरज की किरणों से बचने के लिए ही नहीं करना चाहिए, बल्कि हर मौसम में इसे लगाना चाहिए। सनस्क्रीन सनबर्न और वक्त से पहले बुढ़ापा के लक्षण को रोकने का काम करता है। लोगों के मन में सनस्क्रीन को लेकर कई सारे मिथ हैं, जिन्हें दूर करना जरूरी है आइए जानते हैं सनस्क्रीन के इस्तेमाल से जुड़े कुछ मिथ्स के बारे में-
छायां है तो सनस्क्रीन लगाने की जरूरत नहीं
यह बात पूरी तरह से गलत है कि बादल छाने के मौसम में आपको सनस्क्रीन का इस्तेमाल करने की कोई जरूरत नहीं है। सनस्क्रीन का इस्तेमाल हर मौसम में करना जरूरी है, फिर चाहे बादल ही क्यों न छाएं हों भले ही बादल सूरज की कुछ किरणों को रोक लेते हैं, लेकिन फिर भी UV रेडिएशन आपकी स्किन तक पहुंच सकता है और उसे नुकसान पहुंचा सकता है। यही वजह है कि मौसम पर ध्यान दिए बगैर घर से बाहर निकलने से पहले सनस्क्रीन जरूर लगाएं।
सुपर-हाई SPF वाला सनस्क्रीन पूरे दिन टिका रहता है
सुपर-हाई एसपीएफ (सन प्रोटेक्शन फैक्टर) वाला सनस्क्रीन आपको पूरे दिन सुरक्षा नहीं दे सकता इसमें कोई शक नहीं है कि हाई एसपीएफ वाला सनस्क्रीन यूवी रेडिएशन के खिलाफ प्रोटेक्शन देते हैं, लेकिन सिर्फ दिन में एक बार लगाना काफी नहीं होगा। इस सनस्क्रीन को आपके कुछ-कुछ गैप में बार-बार लगाते रहना चाहिए ऐसा इसलिए क्योंकि पसीने, तैरने और दौड़ने सहित कई वजहों से सनस्क्रीन का असर खत्म हो सकता है।
सनस्क्रीन का इस्तेमाल करेंगे तो स्किन कैंसर नहीं होगा
यह बिल्कुल गलत है सनस्क्रीन लगाने के बाद भी स्किन कैंसर हो सकता है हालांकि फिर भी ये आपकी स्किन को यूवी रेडिएशन से बचाकर स्किन कैंसर के पैदा होने के खतरे को कम जरूर कर सकता है। कोई भी सनस्क्रीन 100 पर्सेंट यूवी रेडिएशन को ब्लॉक नहीं कर सकता अगर आप इसे सही तरीके से लगाते हैं तो भी यूवी रेडिएशन आपकी स्किन में एंट्री मार सकता है।
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