इंडिया न्यूज । Rajasthan News :
अब हाल ही में राजस्थान सरकार ने इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गांरटी योजना में शामिल होने वाले लाभार्थियों को राहत देने के लिए एक फैसला किया है। योजना में रोजगार के लिए आवश्यक जॉबकार्ड बनवाने के लिए ई-मित्र के माध्यम से निशुल्क आनलाइन आवेदन का प्रावधान शामिल किया गया है।
बताया जा रहा है कि गांवों के बाद अब शहरों में भी मनरेगा के तहत रोजगार दिया जाएगा। राजस्थान सीएम अशोक गहलोत ने शहरी मनरेगा की घोषणा बजट में की थी। इसके तहत हर बेरोजगार परिवार को 100 दिन का रोजगार मिलेगा। तो चलिए आज की खबर में जानेंगे क्या शहरी रोजगार योजना में रजिस्ट्रेशन के लिए दस्तावेज जरूरी हैं। इसमें रोजगार किसे और कैसे मिलेगा।
मनरेगा का पूरा नाम और योजना क्या है?
मनरेगा का पूरा नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना है। इससे पूर्व इस योजना को राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना (एनआरईजीए) नरेगा के नाम से जाना जाता था। मनरेगा केंद्र सरकार की ओर से चलायी गयी प्रमुख योजना है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्राम का विकास और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के साथ-साथ शहरी लोगों को रोजगार प्रदान करना है। इस योजना के द्वारा ग्राम को शहर अनुसार सुख-सुविधा प्रदान करना है, जिससे ग्रामीणों का पलायन रुक सके।
मनरेगा की शुरुआत और नाम परिवर्तन कैसे हुआ?
केंद्र सरकार ने इस मनरेगा योजना की शुरुआत 2 अक्टूबर 2005 को की थी। इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम के अंतर्गत रखा गया था। इस योजना को ग्रामीण लोगों की क्रय शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। 31 दिसंबर 2009 को इस योजना के नाम में परिवर्तन करके इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना कर दिया गया।
किस उम्र के लोगों को मिलेगा लाभ
200 से ज्यादा नगर पालिका क्षेत्रों में इस योजना के तहत 800 करोड़ रुपए का बजट आवंटित किया है। हर जिले की नगर पालिका, नगर निगम व नगर परिषद के लिए अलग-अलग बजट निर्धारित है। जरूरत के अनुरूप पालिकाएं काम का निर्धारण करके उन्हें इस योजना के तहत करवाएंगी। इसमें 18 से 60 साल की उम्र के लोगों को रोजगार दिया जाएगा। रोज 8 घंटे काम कर बेरोजगार 100 दिन में 25900 रुपए तक कमा सकते हैं। योजना के तहत रोजगार के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
कौन से काम होंगे शहरी रोजगार योजना के तहत?
आवेदक जिस वार्ड या जोन क्षेत्र का है, उसे वहीं पर ही रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना में पब्लिक प्लेस पर पौधारोपण, गार्डनों के रखरखाव, फुटपाथ, डिवाइडर व अन्य सार्वजनिक स्थानों पर लगे हुए पौधों को पानी देने का काम मिलेगा। तालाब, बावड़ी, जोहड़ आदि की मिट्टी निकालने, सफाई, रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर का निर्माण एवं रखरखाव का काम शामिल है।
इसके अलावा डम्पिंग साइट पर कचरे के सेग्रीगेशन, मोक्षधाम की सफाई, सामुदायिक शौचालय व मूत्रालय की सफाई, नाला-नालियों की सफाई का काम भी दिया जाएगा। सड़क व सार्वजनिक स्थल पर झाड़ियों व घास की सफाई, शहरों में लगे अवैध बोर्ड, होर्डिंग्स, बैनर आदि हटाने, सड़क डिवाइडर, रैलिंग, दीवार पर पुताई-पेंटिंग समेत अन्य कई तरह के काम करवाए जाएंगे।
मनरेगा योजना के अंतर्गत कार्य क्या हैं?
इस योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्य कराये जाते हैं, जिसमें से प्रमुख कार्य इस प्रकार से हैं-जल संरक्षण, सूखे की रोकथाम के अंतर्गत वृक्षारोपण, बाढ़ नियंत्रण, भूमि विकास, विभिन्न तरह के आवास निर्माण और लघु सिंचाई बागवानी
कितने दिन का वेतन होगा ट्रांसफर
राजधानी जयपुर में 14 नगर निकायों (नगर निगम व नगर पालिका) में मौजूदा वित्तवर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने 41 करोड़ 35 लाख रुपए का बजट मंजूर किया है। कुल 14,258 जॉब कार्ड जारी होंगे। नोडल एजेंसी नगर निगम हेरिटेज के एईएन सत्यनारायण वर्मा ने बताया कि जयपुर जिले में अब तक 3 हजार से ज्यादा परिवारों के रजिस्ट्रेशन हो चुके है, जिसमें अकेले हेरिटेज के 550 आवेदन है। काम शुरू होने से पहले 7-7 दिन का मस्टरोल बनाया जाएगा और 7-7 दिन के काम का वैरिफिकेशन होने के बाद आॅनलाइन वेतन ट्रांसफर किया जाएगा।
मनरेगा योजना से लाभ क्या हैं?
मनरेगा योजना में ग्रामीण लोगों को अपने परिवेश में ही रोजगार प्राप्त हो जाता है, केंद्र सरकार ने इस योजना के अंतर्गत 100 कार्य दिवस के रोजगार की गारंटी दी है। छत्तीसगढ़ राज्य में महात्मा मनरेगा योजना के अंतर्गत 100 कार्य दिवस को बढ़ा कर 150 कार्यदिवस की रोजगार गारंटी दी है। 50 कार्य दिवस के व्यय का वहन राज्य सरकार के द्वारा किया जायेगा। इस योजना के अंतर्गत परिवार के वयस्क सदस्य के द्वारा आवेदन किया जाता है, आवेदन होने के 15 दिन के अंदर रोजगार प्रदान किया जाता है।
यदि किसी कारणवश 15 दिन के अंदर रोजगार प्राप्त नहीं होता है, तो सरकार की ओर से उसे बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता है। यह भत्ता पहले 30 दिन का एक चौथाई होता है। 30 दिन के बाद यह न्यूनतम मजदूरी दर का पचास प्रतिशत प्रदान किया जाता है। इस योजना में मजदूरी का भुगतान बैंक, डाकघर के बचत खातों के माध्यम से किया जाता है, आवश्यकता पड़ने पर नगद भुगतान की व्यस्था विशेष अनुमति लेकर की जा सकती है।
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