जानकारी के लिए बता दें कि, ईथर एनेस्थीसिया की खोज विलियम थॉमस ग्रीन मॉर्टर ने की थी। जिसका प्रयोग और प्रयास सफल रहा था। जिसके बाद 16 अक्टूबर को 1846 में बोस्टन, एमए, यूएसए के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में ईथर एनेस्थीनिया का सफल प्रदर्शन किया गया था। इसके प्रयोग से पेशेंट्स को सर्जरी के दौरान दर्द का अहसास नहीं हुआ। जिसके बाद इस दिन को पूरी दुनिया विश्व एनेस्थीसिया दिवस के तौर पर मनाने लगी।
मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि, सर्जरी से पहले मरीज को एनेस्थीसिया की दवा दी जाती है। जिसके बाद दवा ब्रेन के साथ गुजरने वाली नसों के संकेत को सुन्न करने का काम करती हैं। एनेस्थीसिया की दवा के प्रयोग के बाद मरीज बेहोशी महसूस करता है। उसे किसी प्रकार के दर्द और कष्ट का अहसास नहीं होता।
जानकारी के लिए बता दें कि, एनेस्थीसिया को तीन वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित है।
1. लोकल एनेस्थीसिया: इसका इस्तेमाल शरीर के किसी खास हिस्से में मामूली सर्जरी के लिए किया जाता है।
2. जनरल एनेस्थीसिया: इसके उपयोग से रोगी की मांसपेशियों सुन्न हो जाता है।
3. रीजनल एनेस्थीसिया: रीजनल एनेस्थीसिया का इस्तेमाल पेट जैसे शरीर के बड़े हिस्से को सुन्न करने के लिए किया जाता है।
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