इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे में वहां शिवलिंग मिलने का दावा तूल पकड़ पर है। वहीं, अब कर्नाटक के मांड्या में स्थित जामिया मस्जिद में हिंदू संगठनों ने मंदिर होने का दावा किया है। इस दावे के साथ ही मंदिर में पूजा करने की मांग की शुरुआत हो गयी है। इसके लिए डिप्टी कमिश्नर को एक ज्ञापन भी सौंपा जा चुका है। हिंदू कार्यकर्ताओं के अनुसार, जामिया मस्जिद को मंदिर तोड़कर बनाया गया है, जिसके सबूत संस्था के पास उपलब्ध हैं।
कार्यकर्ताओं का कहना है कि जामिया मस्जिद के पूरे दस्तावेज की जांच होनी चाहिए। जामिया मस्जिद का जिक्र टीपू सुल्तान ने अपने एक पत्र में किया है। साथ ही कार्यकर्ताओं ने दावा किया है कि वाराणसी की ज्ञानवापी की तरह ही यहां भी मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनायी गयी है।
दक्षिणपंथी संस्था के कार्यकर्ताओं ने डिप्टी कमिश्नर को दिए अपने ज्ञापन में कहा है कि “जामिया मस्जिद असल में एक मंदिर है, जिसे बाद में तोड़कर मस्जिद का रूप दिया गया। टीपू सुल्लान ने इस मस्जिद का जिक्र फारस खलिफ के राजा को लिखी गयी चिट्ठी में किया है।” डिप्टी कमिश्नर को ज्ञापन सौंपते हुए कार्यकर्ताओं ने पुरातत्व विभाग से जामिया मस्जिद के दस्तावेजों को देखने और इस पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है।
कार्यकर्ताओं ने ज्ञापन के जरिए पूजा करने और मस्जिद में मौजूद तालाब में नहाने की इजाजत मांगी है। कार्यकर्ताओं ने कहा है कि “अंजनेय मंदिर से लोगों की आस्था जुड़ी है, जिसे आज मस्जिद बताया जा रहा है, वह पूर्व में अंजनेय मंदिर हुआ करता था। इसके ऐतिहासिक प्रमाण भी मौजूद हैं।”
कर्नाटक में शुरू हुआ जामिया मस्जिद विवाद बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से मिलता जुलता है। दोनों ही मामलों में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने मंदिर तोड़कर उसकी जगह पर मस्जिद बनाए जाने का दावा किया है। एक तरफ जहां ज्ञानवापी में हिंदू पक्ष ने मस्जिद के नीचे ज्योतिर्लिंग होने की बात कही। वहीं, दूसरी तरफ मांड्या में दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किए जाने का दावा किया है और डिप्टी कमिश्नर अपनी मांगो का ज्ञापन दिया है।
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