India News (इंडिया न्यूज), Dulari Devi: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बार के आम बजट की चर्चा जितनी हो रही है, उतनी ही सुर्खियों में उनकी साड़ी भी है। उन्होंने बजट पेश करने के दौरान मिथिला पेंटिंग से सजी बैंगलोरी सिल्क साड़ी पहनी, जिसे प्रसिद्ध मिथिला चित्रकार दुलारी देवी ने भेंट किया था। खास बात यह है कि दुलारी देवी का सफर कठिनाइयों से भरा रहा है—कभी दूसरों के घरों में बर्तन मांजने और झाड़ू-पोछा करने वाली यह महिला आज देश की गौरवशाली कलाकारों में गिनी जाती हैं।

मिथिला की बेटी बनी देश की शान

बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली दुलारी देवी का जन्म एक मछुआरा परिवार में हुआ था, जहां शिक्षा और जीवन सुधार के अवसर बेहद सीमित थे। कम उम्र में ही उनकी शादी कर दी गई और जल्द ही उन्हें पारिवारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। पति के तानों से तंग आकर उन्होंने घर छोड़ने का फैसला लिया, लेकिन संघर्ष का दौर यहीं खत्म नहीं हुआ। जीविका चलाने के लिए उन्होंने खेतों में मजदूरी से लेकर घरेलू सहायिका के रूप में काम किया। इस दौरान उनका परिचय मिथिला पेंटिंग से हुआ, जो बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इस कला को सीखने की उनकी रुचि देखकर प्रसिद्ध कलाकार कर्पूरी देवी और महासुंदरी देवी ने उन्हें प्रशिक्षित किया। उनकी मेहनत और लगन रंग लाई और जल्द ही उन्होंने अपनी पहचान स्थापित कर ली।

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पद्मश्री सम्मान से सम्मानित हुईं दुलारी देवी

मिथिला पेंटिंग में असाधारण योगदान के लिए 2021 में दुलारी देवी को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया। उन्होंने अपनी कला को केवल खुद तक सीमित नहीं रखा, बल्कि मिथिला कला संस्थान और सेवा मिथिला संस्थान के माध्यम से हजारों छात्रों को प्रशिक्षित किया, ताकि यह पारंपरिक कला आगे की पीढ़ियों तक पहुंचे।

वित्त मंत्री से किया था साड़ी पहनने का अनुरोध

जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मिथिला चित्रकला संस्थान का दौरा करने आई थीं, तब दुलारी देवी ने उन्हें अपनी बनाई हुई मिथिला पेंटिंग वाली बैंगलोरी सिल्क साड़ी उपहार में दी थी। उन्होंने विनम्र अनुरोध किया था कि अगर संभव हो तो वित्त मंत्री इसे किसी खास अवसर पर पहनें। यह साड़ी पूरी तरह हाथ से बनी हुई थी और इसे तैयार करने में एक महीने का समय लगा था। जब बजट के दिन वित्त मंत्री ने यह साड़ी पहनकर संसद में प्रवेश किया, तो न सिर्फ मिथिला, बल्कि पूरे देश के लिए यह गर्व का क्षण बन गया। इस पर बनी मछलियां और कमल के फूल पारंपरिक मिथिला कला की विशेषता को दर्शाते हैं।

संघर्ष और संकल्प की मिसाल

दुलारी देवी की कहानी इस बात का प्रमाण है कि प्रतिभा और मेहनत किसी भी परिस्थिति को बदल सकती है। गरीबी और संघर्ष के बीच जन्मी यह महिला आज देश की सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही हैं। उनकी बनाई हुई साड़ी को बजट जैसे बड़े मंच पर स्थान मिलना, न केवल उनकी उपलब्धि को दर्शाता है, बल्कि मिथिला पेंटिंग को भी वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का काम करता है। वित्त मंत्री द्वारा उनकी दी गई साड़ी पहनने से दुलारी देवी की मेहनत और कला को देशभर में नई पहचान मिली है। यह कहानी सिर्फ एक कलाकार की सफलता नहीं, बल्कि हर उस महिला की प्रेरणा है जो मुश्किल हालात में भी अपने सपनों को पूरा करने का साहस रखती है।

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