India News (इंडिया न्यूज), Bhavesh Purohit: भावेश पुरोहित (Bhavesh Purohit) द्वारा स्थापित ‘धेनुप्रसाद एग्रोवेट’ एक अनोखी पहल है जो भारतीय कृषि और पशुपालन में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। इस परियोजना का उद्देश्य किसानों के बीच जैविक खेती को बढ़ावा देना और देसी गायों के महत्व को पुनर्जीवित करना है। भावेश ने न केवल गौमूत्र से जुड़ी इस पहल को सफलतापूर्वक स्थापित किया है, बल्कि उन्होंने किसानों और पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का एक साधन भी तैयार किया है।
भावेश पुरोहित की प्रेरणा:
भावेश को यह प्रेरणा अपने पिता से मिली, जिन्होंने किसानों की बढ़ती समस्याओं और जैविक खेती के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया। भावेश ने बायोटेक्नोलॉजी में स्नातक की डिग्री हासिल की और इसके बाद 2017 में ‘धेनुप्रसाद’ नामक कंपनी की नींव रखी। इस कंपनी का उद्देश्य गौमूत्र का उपयोग करके जैविक खाद और अन्य प्राकृतिक उत्पादों का निर्माण करना है, जिससे किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके।
गौमूत्र का उपयोग:
गाय का गौमूत्र आयुर्वेद में लंबे समय से अमृत के रूप में माना गया है, जो कई जटिल और असाध्य रोगों का इलाज कर सकता है। भावेश ने इस पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ मिलाकर एक सफल उद्योग की स्थापना की। हर महीने करीब 20,000 लीटर गौमूत्र स्थानीय किसानों से खरीदा जाता है, जिससे उन्हें प्रति लीटर 5 रुपये की दर से भुगतान किया जाता है। इस पहल से पशुपालक भी अपनी गायों से अतिरिक्त आय अर्जित कर रहे हैं।
किसानों के लिए लाभ:
भावेश की इस पहल से न केवल किसानों को अतिरिक्त आय का स्रोत मिला है, बल्कि उन्होंने जैविक खेती को भी अपना लिया है। किसानों को ‘धेनुप्रसाद’ के माध्यम से गोमूत्र आधारित जैविक खाद उपलब्ध कराई जाती है, जो रासायनिक खादों की तुलना में पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। इससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है और उत्पादन में वृद्धि हो रही है।
भविष्य की योजना:
भावेश पुरोहित की योजना अगले छह महीनों में 10,000 किलोलीटर गौमूत्र के प्रसंस्करण की क्षमता वाले नए संयंत्र की स्थापना करने की है। इस पहल का उद्देश्य जैविक खेती और प्राकृतिक उत्पादों को और अधिक बढ़ावा देना है, जिससे किसानों को स्थायी और अधिक लाभकारी कृषि पद्धतियों की ओर प्रेरित किया जा सके।
भावेश की यह पहल केवल एक व्यावसायिक उद्यम नहीं है, बल्कि यह भारतीय कृषि और पशुपालन की एक नई दिशा की ओर कदम है। उनके इस प्रयास से न केवल किसानों को आर्थिक स्थिरता मिल रही है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है।