अपनों ने ठुकराया तो दरोगा साहब ने लिया थाम…झाड़ियों में मिले नवजात के लिए पसीजा इस अफसर का दिल!

India News (इंडिया न्यूज), Ghaziabad Uttar Pradesh: गाजियाबाद जिले के मसूरी थाना क्षेत्र के डासना इलाके में नवरात्रि के अष्टमी के दिन एक अनोखी और भावुक घटना घटी, जिसने सभी का दिल छू लिया। नवरात्रि के इस पवित्र समय में, जब लोग छोटी कन्याओं को देवी का रूप मानकर घरों में उनकी पूजा कर रहे थे, उसी दिन इनायतपुर गांव की झाड़ियों में एक नवजात बच्ची को लावारिस हालत में छोड़ दिया गया। यह दिल दहला देने वाली घटना तब सामने आई जब उस बच्ची के रोने की आवाज लोगों ने सुनी और पुलिस को सूचना दी।

नवजात बच्ची को झाड़ियों में छोड़ने की घटना

इस घटना के पीछे के कारण का कोई ठोस प्रमाण नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि लोकलाज और सामाजिक दबाव के कारण किसी मां ने अपनी नवजात बच्ची को झाड़ियों में छोड़ दिया। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर वहां से गुजर रहे लोगों ने बच्ची को देखा और तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस की टीम ने तुरंत मौके पर पहुंचकर बच्ची को सुरक्षित अपने कब्जे में लिया।

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पुलिसकर्मी पुष्पेंद्र ने बच्ची को अपनाया

पुलिस की टीम में शामिल चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र, जिन्होंने उस मासूम बच्ची को देखा, उन्होंने तुरंत उसे अपनाने का मन बना लिया। इस निर्णय के लिए उन्होंने अपनी पत्नी से फोन पर बात की और उनसे पूछा कि क्या वे इस बच्ची को गोद ले सकते हैं। उनकी पत्नी ने इस प्रश्न का दिल छू लेने वाला जवाब दिया, “नवरात्रि में अगर एक कन्या घर आए तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है।” पत्नी की सहमति के बाद पुष्पेंद्र ने बच्ची को अपना लिया और उसे अपनी बेटी के रूप में घर ले आए।

कानूनी प्रक्रिया और परिवार की खुशी

हालांकि पुष्पेंद्र ने भावनात्मक रूप से उस नवजात बच्ची को अपना लिया है, परंतु कानूनी तौर पर बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया अभी शेष है। इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पुष्पेंद्र ने कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। सभी कानूनी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद ही बच्ची आधिकारिक रूप से उनकी बेटी बनेगी। इस घटना ने न केवल पुष्पेंद्र और उनकी पत्नी, बल्कि पूरे परिवार में खुशी की लहर फैला दी है। उनके लिए यह नवरात्रि का सबसे बड़ा आशीर्वाद साबित हुआ है।

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सामाजिक संदेश

इस घटना ने समाज को एक मजबूत संदेश दिया है कि लावारिस बच्चों को गोद लेकर उन्हें एक बेहतर जीवन दिया जा सकता है। साथ ही, यह घटना इस बात पर भी रोशनी डालती है कि हमें सामाजिक दबावों और लोकलाज से ऊपर उठकर सही और मानवीय निर्णय लेने चाहिए। नवजात बच्ची को फेंकने की बजाय अगर सही ढंग से गोद देने की प्रक्रिया अपनाई जाती, तो यह समाज के लिए एक और प्रेरणादायक कदम होता।

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नवरात्रि के पवित्र दिन पर, जब देवी के रूप में कन्याओं की पूजा की जाती है, उसी समय एक नवजात बच्ची को झाड़ियों में छोड़ देने की घटना समाज की कड़वी सच्चाई को उजागर करती है। लेकिन चौकी प्रभारी पुष्पेंद्र और उनकी पत्नी द्वारा बच्ची को अपनाने का यह भावनात्मक निर्णय इंसानियत और दया का प्रतीक है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हर बच्चा एक आशीर्वाद है, और सही देखभाल और प्यार से उन्हें एक बेहतर भविष्य दिया जा सकता है।

Prachi Jain

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