India News (इंडिया न्यूज), Mahakumbh 2025: प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ 2025 में भारतीय संस्कृति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। इस खास अवसर पर प्रयागराज में न सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी श्रद्धालु भी संगम में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे हैं। इनमें एक अनोखी शख्सियत हैं, साध्वी भगवती सरस्वती, जो अमेरिका से आकर भारत में साध्वी बन गईं हैं और अब समाज सेवा में जुटी हुईं हैं। उनके कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, इनमें वो कुंभ में अपनी आस्था और भक्ति का अनुभव साझा कर रही हैं।

साध्वी भगवती सरस्वती का जीवन एक प्रेरणा

साध्वी भगवती सरस्वती का जीवन एक प्रेरणा है। अमेरिका के लॉस एंजिल्स की रहने वाली साध्वी भगवती ने 25 साल की उम्र में संन्यास लिया था। हालांकि, उन्होंने इसके पहले पीएचडी की डिग्री प्राप्त की थी, लेकिन भारत की संस्कृति और शाकाहार से प्रभावित होकर उन्होंने अपना परिवार और घर छोड़ दिया और ऋषिकेश में रहने लगीं। आज, वो महाकुंभ में आकर भक्ति और आस्था की डुबकी लगा रही हैं।

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कुंभ में छाईं भगवती सरस्वती

उन्होंने कहा, “कुंभ में आकर केवल संगम में डुबकी लगाने का मौका नहीं मिलता, बल्कि यह हमारी आस्था और भक्ति में गहरा उतरने का अवसर भी है।” साध्वी भगवती सरस्वती ने आगे कहा, “भारत की संस्कृति की ताकत यही है कि लाखों लोग यहां अपनी आस्था के लिए जुटते हैं। यहां की सरकारी व्यवस्थाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भक्ति शक्ति का अहम योगदान है।” साध्वी भगवती सरस्वती साल 1996 में भारत घूमने आईं। उसी दौरान उन्हें यहां की शाकाहारी जीवनशैली और भारतीय संस्कृति ने इतना प्रभावित कर दिया कि उन्होंने भारत में रहने का ही निर्णय लेकर संन्यास ले लिया। अब वो ऋषिकेश में गंगा किनारे अपना जीवन व्यतीत कर रही हैं और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही हैं।

क्यां है हिंदी अच्छी होने के पीछे राज?

इंडिया टीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार साध्वी भगवती के साथ मौजूद स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बताया कि, साध्वी भगवती महिला सशक्तिकरण और बच्चों की शिक्षा पर काम कर रही हैं। उन्होंने भारतीय महिलाओं के अधिकारों को प्रोत्साहित करने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की हैं। वो स्लम एरिया में गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करती थीं। साध्वी भगवती सरस्वती की हिंदी में निपुणता का राज भी दिलचस्प है। इंडिया टीवी के अनुसार स्वामी चिदानंद सरस्वती ने बताया कि साध्वी जी ने संन्यास लेने के बाद भारतीय स्लम क्षेत्रों में रहकर हिंदी सीखी। वहां की महिलाएं और बच्चे उनके साथ रहते हुए, उन्हें हिंदी में पारंगत होने में मदद करते थे। इसलिए वो आज हिंदी बहुत अच्छी बोल लेती हैं।

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