India News (इंडिया न्यूज),  Saif Ali Khan Attack Case: अभिनेता सैफ अली खान के स्वास्थ्य बीमा दावे का मामला इन दिनों चर्चा में बना हुआ है। माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म X पर उनके बीमा दस्तावेज़ के लीक होने के बाद सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। इस घटना ने बीमा कंपनियों द्वारा आम नागरिक और मशहूर हस्तियों के दावों में असमानता को सामने लाकर रख दिया है। लीक हुए दस्तावेज़ से पता चला है कि सैफ अली खान ने अपने इलाज की अनुमानित लागत के आधार पर 35,95,700 रुपये का दावा किया था। लेकिन उनकी बीमा कंपनी, निवा बूपा हेल्थ इंश्योरेंस ने 25 लाख रुपये मंजूर किए हैं। सूत्रों के अनुसार, उनका अस्पताल का बिल 26 लाख रुपये आया है।

डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने जताई नाराज़गी

हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए, मलाड के तुंगा अस्पताल के कार्डियक सर्जन डॉ. प्रशांत मिश्रा ने कहा कि बीमा कंपनियां छोटे अस्पतालों और आम नागरिकों के इलाज के लिए ₹5 लाख से अधिक मंजूरी देने में हिचकिचाती हैं। उन्होंने फाइव-स्टार अस्पतालों के बढ़ते बिलों और बीमा कंपनियों द्वारा उन्हें मंजूरी दिए जाने पर चिंता व्यक्त की है। डॉ. मिश्रा ने दावा किया कि इन नीतियों का असर मध्यम वर्ग पर पड़ता है, क्योंकि प्रीमियम लगातार बढ़ रहे हैं।

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मध्यम वर्ग पर क्यों बढ़ रहा बोझ?

विशेषज्ञों का मानना है कि बीमा कंपनियां हाई-प्रोफाइल मरीजों और महंगे अस्पतालों के साथ उदार रवैया अपनाती हैं। जबकि आम नागरिकों और छोटे अस्पतालों को कम प्राथमिकता दी जाती है। इससे न केवल स्वास्थ्य बीमा की पहुंच घट रही है, बल्कि बढ़ते प्रीमियम मध्यम वर्ग के लिए बोझ बनते जा रहे हैं। बीमा दावों में यह असमानता अस्पतालों द्वारा लिए जा रहे अत्यधिक शुल्क और बीमा कंपनियों की नीतियों के कारण बढ़ रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा कंपनियों को पारदर्शिता अपनानी चाहिए और दावों की मंजूरी में समानता बरतनी चाहिए।

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